Faridkot Wala Teeka

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तेरी वडिआई इसु कर वज़डी है जो तेरा नामु सभ साधनोण ते अधक है पुना तेरी
वडाई तअु ही वडी है जअु सचा इनसाफ करता हैण॥
वडी वडिआई जा निहचल थाअु ॥
वडी वडिआई जाणै आलाअु ॥
इसकर भी तेरी बडिआई बडी है जो तेरा थाअुण भाव सरूप अचल है पुना जो
बोलिआ हूआ जाण लेता है इसते तेरी वडिआई वज़डी है॥
वडी वडिआई बुझै सभि भाअु ॥
वडी वडिआई जा पुछि न दाति ॥
वडी वडिआई जा आपे आपि ॥
इस करके तेरी बडिआई बडी है जो सभके मन के(भाअु) प्रेम को बूझता है इस
करके तेरी बडिआई वज़डी है जो किसी से पूछ कर दानु नहीण करता है इस करके भी तेरी
बडिआई बडी है जो तूं आप ही आप हैण॥
नानक कार न कथनी जाइ ॥
कीता करणा सरब रजाइ ॥२॥
तेरी कार भाव जो तैने स्रिसी रची है सो कही नहीण जाती जो तैने (करणा) प्रपंच
कीआ है स्री गुरू जी कहते हैण सो सभ तेरी (रजाइ) आगा मेण है॥२॥
महला २ ॥
इहु जगु सचै की है कोठड़ी सचे का विचि वासु ॥
इकना हुकमि समाइ लए इकना हुकमे करे विणासु ॥
इह जगत सचे की कोठड़ी है औ इसमेण सचे परमातमा का निवास है॥ अपने
हुकम मेण इकनोण को अपने मेण (समाइ लए) अभेद कर लेता है इकनोण को अपने हुकम
करके नास कर देता है॥
इकना भांै कढि लए इकना माइआ विचि निवासु ॥
इकनोण को अपणे भांै आगा करके संसार समुंद्र मेण डूबते को गुरू रूप हो कर
काढि लेता है इकनोण को मनमुख जान कर माया ही मेण निवास देता है अरथात पाइ देता
है॥
एव भि आखि न जापई जि किसैआणे रासि ॥
इस प्रकार भी कहीता है औ जनीता नहीण है कि जो (किसै) किसकी करणी (रासि)
सूत वा सची (आणै) लिआवैगा॥
नानक गुरमुखि जाणीऐ जा कअु आपि करे परगासु ॥३॥
स्री गुरू जी कहते हैण जिस को आप गुरू रूप हो कर गान रूप (परगासु) चानण
कर देता है सो गुरमुखि जानते हैण॥३॥
पअुड़ी ॥
नानक जीअ अुपाइ कै लिखि नावै धरमु बहालिआ ॥
स्री गुरू जी कहते हैण सखोपती सम प्रलो कर माया मेण लीन हूए हूए जीवोण को
अुतपंन भाव आवर भाव करके आप ही अुन का पुंन पाप रूप करमोण के नावै भाव लेखा
लिखने वासते धरम राजा अदालती तैने (बहालिआ) बैठाइआ है॥

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