Faridkot Wala Teeka
तेरे नाम से बिनां इस जीव का कोई (बेली) मितर नहीण है किअुणकि इस जीव ने
भजन से बिनां विसे रूप विस लादी है और सिर पर पापोण रूपी भार अुठाया है॥
हुकमी आइआ हुकमु न बूझै हुकमि सवारणहारा ॥
हे (हुकमी) वाहिगुरू जिस तेरे हुकम कर इह जीव संसार मैण आइआ है तिस
हुकम को इह समझता नहीण है ॥ हे हरी तूं क्रिपा करके आप ही सवारने वाला हैण॥
नानक साहिबु सबदि सिापै साचा सिरजंहारा ॥३॥
स्री गुरू जी कहते हैण सचा सिरजनहार साहिब तेरा सरूप गुरोण के(सबदि)
अुपदेस करके सिआणीता है अरथात समझीता है॥३॥
भगत सोहहि दरवारि सबदि सुहाइआ जीअु ॥
जिन जीवोण का गुर सबद कर जनम सुहाया है सोई भगति तेरे प्रतख दरवार वा
सतिसंग मै सोभते हैण॥
बोलहि अंम्रित बांि रसन रसाइआ जीअु ॥
वहु तेरी अंम्रत बांणी को बोलते हैण किअुणकि तिनोण ने तिस तेरे जाप रस मैण रसना
को रसाया है भाव से तदाकार कीआ है वा तिनोण को रसोण का मूल रसु भाव आतम अनंद
आया है॥
रसन रसाए नामि तिसाए गुर कै सबदि विकांे ॥
वहु पुरस रसना को तेरे नाम रस मैण रसाए भाव से तदाकार कीए हूए तेरे
दरसन के (तिसाए) पिआसे रहिते हैण औ गुरोण के सबद पर वहु (विकांे) विक गए हैण
भाव से तन मन धन सभ तिनोण ने वारन कीआ है॥
पारसि परसिऐ पारसु होए जा तेरै मनि भांे ॥
जब तेरे मन मैण (भांे) भाए हैण तब वहु पारस रूप सतिगुरोण को मिलकर पारस
रूप ही होइ गए हैण॥
अमरा पदु पाइआ आपु गवाइआ विरला गिआन वीचारी ॥
जिनोण ने गुरोण दारा आपणा हंकार गवाइआ है और अमरापद पाया है सो गिआन
के वीचारने वाला ऐसा कोईविरला है॥
नानक भगत सोहनि दरि साचै साचे के वापारी ॥४॥
स्री गुरू जी कहते हैण जो साचे नाम के वापारी भगति हैण हे सचे आपके (दर)
सतसंग वा प्रलोक मैण सो सोभा पावते हैण॥४॥
भूख पिआसो आथि किअु दरि जाइसा जीअु ॥
अपने निसचे कर जीवोण की दशा कहते हैण॥ (आथि) माया की त्रिसना रूपी भूख
पिआस कर मैण आतर होइ रहा हूं तिसी ते अब किस प्रकार तेरे (दरि) दारे मै
जावोणगा॥
पंना ६८९
सतिगुर पूछअु जाइ नामु धिआइसा जीअु ॥
सतिगुरोण को जाइ पूछता हूं तिनोण के अुपदेश दारा तेरे नाम को जीअ मैण
धिआवोणगा॥
सचु नामु धिआई साचु चवाई गुरमुखि साचु पछाणा ॥