Faridkot Wala Teeka
पुना वही काया वाला चेतन धूप दीप (नईबेदा) मिसटान भोजन आदि भोग हो
रहिआ है तिस काया वाले चेतन का जो जाणना है सोई पत्रोण फूलोण करके मैण तिस का पूजन
कर रहा हूं॥ वा पूजने वाला भी ओही है॥१॥
काइआ बहु खंड खोजते नव निधि पाई ॥
ना कछु आइबो ना कछु जाइबो राम की दुहाई ॥१॥ रहाअु ॥
इस (काइआ) देही बहुत (खंड) टुकड़े अरथात जोड़ां वाली के बीच से वा कायां
खंड मैण से बहुत विचार दारा खोजतिआण होइआण हम ने गुरोण की क्रिपा ते नअु निधि सरब
सुख रूप आतम सता पाई है अरथात जाणी है तिसी ते अब यिह निसचै हूआ है कि ना
किछु (आइबो) आवता है अरथात जनमता है और ना किछु (जाइबो) जाता अरथात
मरता है मैण राम की दुहाई अरथात सपत कर कहता हूं भाव से सत अुचारन करता
हूं॥१॥
जो ब्रहमंडे सोईपिंडे जो खोजै सो पावै ॥
जो ब्रहमंडोण मेण विआपक है सोई इस (पिंडे) सरीर मैण है परंतू जो गुरोण दारे
वीचार करके खोजता है सोई तिस को पावता है॥
पीपा प्रणवै परम ततु है सतिगुरु होइ लखावै ॥२॥३॥
स्री पीपा जी कहते हैण ऐसा जो परम ततु सरूप है तिस का लखावणा सतिगुरोण
दारा ही होता है ॥ वा जिसको सतिगुरू प्रापति होवै तिस को लखावै है॥२॥१॥
धंना ॥
स्री धंना भगत जी स्री अकाल पुरख जी के सनमुख आरती करके जाचना करते हैण।
गोपाल तेरा आरता ॥
जो जन तुमरी भगति करंते तिन के काज सवारता ॥१॥ रहाअु ॥
हे (गो) वेदोण की पालना करने हारे गोपाल और लोक तेरी आरती करते हैण अर मैण
तेरा आरता करता हूं वा तेरा मैण आरत भगत हूं किअुणकि जो जो जन तुमारी भगती करते
हैण तिनोण के कारजोण को तूं ही सवारता हैण॥१॥
दालि सीधा मागअु घीअु ॥
हमरा खुसी करै नित जीअु ॥
दाल और (सीधा) आटा घ्रित कौ माणगता हूं जिस भोजन को छक के हमारा जीअु
खुसीसे तेरा भजन करै॥
पनीआ छादनु नीका ॥
अनाजु मगअु सत सी का ॥१॥
चरनोण मैण पहरने को (पनीआ) चरन दासी और सरीर पर पहरने को (छादन)
बसत्र (नीका) चंगा माणगता हूं॥ पुना (सतसीका) जिसको सात वाह लगी हो ऐसी जमीन से
अुपजा हूआ अंन माणगता हूं॥१॥
गअू भैस मगअु लावेरी ॥
इक ताजनि तुरी चंगेरी ॥
एक गअू और भैणस लवेरी अरथात दूध देने हारी माणगता हूं ॥ पुना एक
(ताजनि) अुतम जाती की (तुरी) घोड़ी असवारी हेत माणगता हूं॥