Faridkot Wala Teeka

Displaying Page 2339 of 4295 from Volume 0

प्रकारांत्र कर लावाण के रूपक से चार भूमका वरनन करते हैण॥
सूही महला ४ ॥
हरि पहिलड़ी लाव परविरती करम द्रिड़ाइआ बलि राम जीअु ॥
हरी रूप पती के साथ पहली लांव एह है जो गुरोण ने मंद करमाण ते वरज कर सुभ
करमोण की पविरती रूप (करम) प्रकार द्रिड़ करया है बलिहारे जाईए राम जी के वा
संबोधन है हे भाई॥
बांणी ब्रहमा वेदु धरमु द्रिड़हु पाप तजाइआ बलि राम जीअु ॥
बांणी जो बेद रूप ब्रहमा अुचारता है तिस बेद प्रमाण धरम को द्रिड़ करो ऐसे गुरोण
ने कहिआ है औ पापोण का ताग कराया है बलिहारे जाईए राम जी के॥
धरमु द्रिड़हु हरि नामु धिआवहु सिम्रिति नामु द्रिड़ाइआ ॥
धरम को द्रिड़ करो अर हरि नाम को धावो सिम्रतीओण ने भी नाम ही जपनां निसचे
करवाया है॥
सतिगुरु गुरु पूरा आराधहु सभि किलविख पाप गवाइआ ॥
सतिगुरू जो पूजने जोग हैण तिनको अुपदेश कर पूरा जो परमेसर है तिस को
अराधन करो और जिनोण ने अराधिआ है तिनोण ने बजर पाप अर समान पाप सभ को
गवाया है॥
सहज अनदु होआ वडभागी मनि हरि हरि मीठा लाइआ ॥
जिनोण ने मन मैण हरि हरि का जाप गुरोण ने मीठा लाया है तिन वडाभागीओण को सुते
ही आतमानंद हूआ है॥
पंना ७७४
जनु कहै नानकु लाव पहिली आरंभु काजु रचाइआ ॥१॥
स्री गुरू जी कहते हैण एह तिस की पहली लांव है जो अभेदता रूपी विवाह का गुरोण
दारे आरंभ रचाया है॥१॥
हरि दूजड़ी लाव सतिगुरु पुरखु मिलाइआ बलि राम जीअु ॥
हरी के साथ दूजी लाव एह है सतगुर पुरख ने जगासू को विचार आद गुनोण मेण
मिलाया है बलिहारे जावाण राम जी के॥
निरभअु भै मनु होइ हअुमै मैलु गवाइआ बलि राम जीअु ॥
भै ते मन निरभअु हो गिआ औ हंकार मैल को गवा दीआ है बलिहारे जावाण राम
जी के॥
निरमलु भअु पाइआ हरि गुण गाइआ हरि वेखै रामु हदूरे ॥
निरमल करने वाला जो परमेसर का भअु है सो पाइआ है इसी ते हरी के गुणां
को गाइआ है अर हरी राम जी प्रतख देखे हैण॥
हरि आतम रामु पसारिआसुआमी सरब रहिआ भरपूरे ॥
हरि (आतम रामु) सुआमी ने इह संसार पसारिआ है अर पसार के पुना सरब
मैण (भरपूरे) पूरन हो रहा है भाव आप ही रचना करके आप ही तिन मैण रम रिहा है॥
अंतरि बाहरि हरि प्रभु एको मिलि हरि जन मंगल गाए ॥
जो (अंतरि) सरीर मैण (बाहिर) ब्रहमंड मैण हरी समरथ एक ही है हरी के भगतां
साथ मिल के तिस के मंगलाचार गाए हैण॥

Displaying Page 2339 of 4295 from Volume 0