Faridkot Wala Teeka

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पंना ९८९
रागु मारू महला १ घरु १ चअुपदे
सति नामु करता पुरखु निरभअु निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर
प्रसादि ॥
बेनतीकरते हैण
सलोकु ॥
साजन तेरे चरन की होइ रहा सद धूरि ॥
नानक सरणि तुहारीआ पेखअु सदा हजूरि ॥१॥
हे सजन वाहिगुरू तेरे चरनोण की मैण सदा ही धूर हो रहोण स्री गुरू जी कहते हैण
इहु किरपा करि जो तुमारी सरण होइके तेरे कअु सदा ही हजूर देखोण॥१॥
सबद ॥
पिछहु राती सदड़ा नामु खसम का लेहि ॥
खेमे छत्र सराइचे दिसनि रथ पीड़े ॥
पिछली रात्र प्रतख वा पिछली अवसथा वा कलजुग वा मानुख जनम बिखे जीवोण को
इहु (सदड़ा) अुपदेश है कि नाम खसम का (लेहु) जपो खिमाण रूप (खेमे) चंदोए जस रूप
छत्र औ भगती रूप (सराइचे) कनातां वा स्रवण मनन निधासन एहु सभ (रब) गान के
(पीड़े) द्रिड़ साधन देखीते हैण॥
जिनी तेरा नामु धिआइआ तिन कअु सदि मिले ॥१॥
जिनोण ने तेरा नाम धिआइआ है तिन को सतसंग मैण (सदि) बुलाइ कर वा
सीघर ही इहु साधन मिलते हैण॥१॥
बाबा मै करमहीं कूड़िआर ॥
नामु नपाइआ तेरा अंधा भरमि भूला मनु मेरा ॥१॥ रहाअु ॥
हे (बाबा) वडे परमेसुर मैण सुभ करमोण ते (हीं) झूठा हूं नाम जो तेरा गुरां
दुआरिओण नहीण पाइआ इसी ते मेरा अगानी मन भरम मैण भूला हूआ फिरता है॥
साद कीते दुख परफुड़े पूरबि लिखे माइ ॥
सुख थोड़े दुख अगले दूखे दूखि विहाइ ॥२॥
जितने रसोण के सवाद भोगंे कीते तितने ही दुख (परफुड़े) परफुलत हूए भाव
प्रापत हूए हे (माइ) माइआपती परमेसुर पूरब लिखे के अनुसार रसोण मैण सुख तो थोड़े
हैण दुख (अगले) बहुत हैण औ इस लोक मैण भी दुख ही दुख मैण अवसथा बीतती है॥२॥
विछुड़िआ का किआ वीछुड़ै मिलिआ का किआ मेलु ॥
हे हरी एहु किरपा करो जो सतसंगत से विछड़े हैण तिनोण से वीछड़ीए भाव अुन का
मिलाप ना करीए जो संत संग मैण मिले हूए हैण तिनका मेलु करीए भाव तिन के मेल को
कबी ना तिआगीए वा जो तेरे से विछड़े हूए भाव अगानी हैण तिनका की विछुड़नां है वहु
सदा विछुड़े हूए हैण । जो मिले हूए भाव गानी हैण तिनका मेल का करना है भाव वहु
तेरा सरूप ही है भाव असमदादि जगासीआण कौ मिलाईए॥
साहिबु सो सालाहीऐजिनि करि देखिआ खेलु ॥३॥

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