Faridkot Wala Teeka
सोलहा नाम सोलां पअुड़ीओण के सबदोण का है यदपी कहीण इकी कहीण नौ पौड़ी हैण तद
भी बहुलता सोलां पअुड़ीआण की है॥
मारू सोलहे महला १
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
साचा सचु सोई अवरु न कोई ॥
जिनि सिरजी तिन ही फुनि गोई ॥
निसचे करके साचा सोई तूं हैण तेरे बिनां अवर कोई नहीण (जिनि) स्रिसटी बनाई
है (तिन) तैने बहुड़ो (गोई) बुला लई वा अपने साथ मिलाइ लई वा लुकाइ भाव
परलो करी है॥
जिअु भावै तिअु राखहु रहणा तुम सिअु किआ मुकराई हे ॥१॥
जिअुण तेरे को राखिआ भावै तिअुण हम जीवोण ने रहणा है आपके साथ किआ
(मुकराई) मुकरिआ जाता है अरथात नहीण मुकरिआ जाता भाव तूं अंतरजामी हैण जैसा
करम देखता हैण तैसा फल देता हैण पाप वाला छुट नहीण सकता॥१॥
आपि अुपाए आपि खपाए ॥
आपे सिरि सिरि धंधै लाए ॥आप ही तूं स्रिशटी को अुतपत करता हैण पुन: आप ही तूं खपावता हैण आप ही
तैने सरब सिर धंधिआण मैण सभ जीव लाए हैण॥
आपे वीचारी गुणकारी आपे मारगि लाई हे ॥२॥
हे पिआरे आप ही तैने वीचारी है जो तीनोण गुणों कर स्रिसटी होती है आप ही
तैने रसतिओण मैण लाई है भाव आपो आपणे बरनासरमोण के रसतिओण मैण लगाई है॥२॥
आपे दाना आपे बीना ॥
आपे आपु अुपाइ पतीना ॥
आपे ही मन के संकलपोण को तूं जानणे वाला हैण आपे ही तूं बाहरले करमाण के
देखणे वाला हैण वा (दाना) दाता अरु (बीना) चतुरु हैण अपने आप ही स्रिसी को अुपाइके
पतिआइआ है॥
आपे पअुंु पांी बैसंतरु आपे मेलि मिलाई हे ॥३॥
आपे ही पौं पांी बैसंतर रूप हैण तूं आप ही इनका मेल मिलावणे वाला हैण॥३॥
आपे ससि सूरा पूरो पूरा ॥
आपे गिआनि धिआनि गुरु सूरा ॥
आपे ही तूं पूरा चंद्रमा हैण आप ही तूं सूरज हैण भाव धान रूपु चंद्रमा औ गान
रूप तूं आप ही हैण॥ गुरू सूरमा रूप होके गिआन धिआन के देंे वाला भी तूंआप ही हैण
॥
कालु जालु जमु जोहि न साकै साचे सिअु लिव लाई हे ॥४॥
हे साचे जिनोण ने तेरे साथ लिव लाई है (कालु) नस करने वाला जमु जाल लै कर
तिन को देख नहीण सकता वा दबा नहीण सकता॥४॥
आपे पुरखु आपे ही नारी ॥