Faridkot Wala Teeka
समान बापकता दिखावते हूए कहते हैण॥
बसंतु बांणी भगतां की ॥
कबीर जी घरु १
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
मअुली धरती मअुलिआ अकासु ॥
हे भाई राजा राम की चेतनसज़ता कर धरती मौल रही है पुनह तिसकर अकासु भी
प्रफुलत हो रहा है वा जिसकी सज़ताधरती मैण मिल रही है वोही राजा रामु अकास मैण मिल
रहा है॥
घटि घटि मअुलिआ आतम प्रगासु ॥१॥
सो आतमा प्रगास रूप घट घट मैण मिला हूआ है वा (घटि घटि) जो सरीर मात्र
है सो आतम के प्रकास करके प्रफुलत हो रहा है॥१॥
राजा रामु मअुलिआ अनत भाइ ॥
जह देखअु तह रहिआ समाइ ॥१॥ रहाअु ॥
राजा राम अनेक (भाइ) प्रकारोण कर मिल रहिआ है जहां देखोण तहां ही समाइ
रहा है॥
दुतीआ मअुले चारि बेद ॥
सिंम्रिति मअुली सिअु कतेब ॥२॥
दैत भाव रूप संसार अर चारोण बेद भी तिस की चेतनसज़ता को पाइ कर मौले हूए
हैण वा इन मैण भी राजा राम की सज़ता मिली हूई है सिंम्रितीआण भी कतेबोण के सहित मौल
रही हैण वा कतेबोण के सहित सिंम्रितीयोण मैण तिस की सज़ता मिल रही है॥२॥
संकरु मअुलिओ जोग धिआन ॥
कबीर को सुआमी सभ समान ॥३॥१॥
सिवजी जोग धिआन कर प्रफुलत हो रहा है वा सिवजी मैण जोगधान रूप हो कर
राजा राम मिल रहा है स्री कबीर जी कहते हैणहमारे को सामी सभ मैण (समान) बापक
द्रिसटि आवता है॥३॥१॥
पंडित जन माते पड़ि पुरान ॥
जोगी माते जोग धिआन ॥
पंडत जन पुरांोण को पड़ कर मज़ते हूए हैण जोगी जोग धान मैण माते हूए हैण भाव
हंकार सहत हैण॥
संनिआसी माते अहंमेव ॥
तपसी माते तप कै भेव ॥१॥
संनिआसी भी (अहंमेव) हंकार मेण माते हूए हैण तपसी तप के (भेव) प्रकार मैण
मज़ते हूए हैण॥१॥
सभ मद माते कोअू न जाग ॥
संग ही चोर घरु मुसन लाग ॥१॥ रहाअु ॥