Faridkot Wala Teeka

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पंना १३२७
सतिनामु करता पुरखु निरभअु निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर
प्रसादि ॥
रागु परभाती बिभास महला १ चअुपदे घरु १ ॥
प्रभाती राग के साथ बिभास रागनी मिली हूई है॥ स्री गुरू नानक साहिब जी
महाराज प्रभाती राग के इस आद सबद मैण वाहिगुरू जी के नाम की अुसतती करते हूए
सनमुख बेनती करते हैण॥
नाइ तेरै तरणा नाइ पति पूज ॥
नाअु तेरा गहणा मति मकसूदु ॥
हे हरी तेरे नाम कर ही संसार से तरना होता है और तेरे नाम कर ही (पति)
पतिशटा होती है औरपुरश पूजंे योग होता है॥ तेरा नाम ही हमारा गहिंां है और
हमारी मति मैण (मकसुदु) नफा तेरा नाम ही है॥
नाइ तेरै नाअु मंने सभ कोइ ॥
विणु नावै पति कबहु न होइ ॥१॥
जो तेरा नाम जपते हैण तिन संत जनां के नाम कौ सभ कोई मानता है॥ तेरा नाम
जपे ते बिनां (पति) पतिशटा कबी नहीण होती है॥१॥
अवर सिआणप सगली पाजु ॥
जै बखसे तै पूरा काजु ॥१॥ रहाअु ॥
हे वाहिगुरू तेरे बिनां और सरब सिआणपां पाज रूप हैण भाव इह दिखलावै
मातर हैण जिसको तूं अपना नाम बखशता हैण तिस का मोख रूपी कारज पूरा होता है॥
नाअु तेरा तांु नाअु दीबांु ॥
नाअु तेरा लसकरु नाअु सुलतानु ॥
तेरा नाम ही हमारा (तांु) बल है और तेरा नाम ही (दीबांु) आसरा है॥ तेरा
नाम ही हमको लशकर है और तेरा नाम ही हमारा (सुलतानु) पातिशाहु है॥
नाइ तेरै माणु महत परवाणु ॥
तेरी नदरी करमि पवै नीसांु ॥२॥
तेरेनाम जपने करके (माणु) आदर औ (महत) वडिआई प्रापित होती है और
सोई जन परवाण होता है हे (नदरी) हरी जब तेरी (करमि) किरपा की नशानी पड़े तब
तेरा नाम प्रापति होता है॥२॥
नाइ तेरै सहजु नाइ सालाह ॥
नाअु तेरा अंम्रितु बिखु अुठि जाइ ॥
तेरा नाम जपने से (सहजु) गिआन प्रापित होता है और नाम ते ही सरब मैण
(सालाह) अुसतती होती है॥ तेरा नाम अंम्रित पांन करने से विशे रूपी (बिखु) ग़हिर रिदे
ते अुठ जाती है अरथात दूर हो जाती है॥
नाइ तेरै सभि सुख वसहि मनि आइ ॥
बिनु नावै बाधी जम पुरि जाइ ॥३॥

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