Faridkot Wala Teeka

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सलोक सेख फरीद के
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
सेखोण की जाती मैण फरीद जी का जनम भया है प्रिथमे कोई काल चोरी रूप करम
कीआ पुना वैरागवान हो करके अतीत हो करके अजमेर मैण एक पीर को मिलकर संत पद
को प्रापत भए हैण। सो फरीद जी देसोण मैण विचरते हूए वैराग सूचक सलोक अुचारन करते
भए पाकपटन जो तिनका असथान है बहुत तां अूहां कहे और कोई कहीण कोई कहीण कहिते
भए हैण। जिंद को इसत्री औ जम को पती रूप करके स्री फरीद जी कहिते हैण॥
जितु दिहाड़ै धन वरी साहे लए लिखाइ ॥
जिस दिन मैण इह जिंद रूप जो पुरयशटका है सो इस देह बीच (वरी) वड़ी है
तिसी दिन ते (साहे) जम पती का संजोग होंा लिखाइ लीआ है॥
मलकु जि कंनी सुणीदा मुहु देखाले आइ ॥तांते इस का (मलक) मालक पती जो जम कानोण करके स्रवन करीता है सो आइ
कर अपना मुख देखालेगा॥
जिंदु निमाणी कढीऐ हडा कू कड़काइ ॥
तिस समेण (निमाणी) विचारी गरीबंी जिंद हडोण को तोड़ फोड़ करके सरीर विचोण
कज़ढीएगी॥
साहे लिखे न चलनी जिंदू कूं समझाइ ॥
तांते जौन से सासोण के संकेत रूप साहे लिखे गए हैण सो चलाइवान भाव दूर नहीण
होते हैण तिसी ते हे भाई इस जिंद को समझावणा कर जो भजन पराइं होवे॥
जिंदु वहुटी मरणु वरु लै जासी परणाइ ॥
तब जिंद रूप इसत्री को लोकोण के (मरणु) मारणे वाला जो जम (वरु) पती है सो
(परणाइ) विवाह करके ले जावेगा॥
आपण हथी जोलि कै कै गलि लगै धाइ ॥
तिस समेण मैण (जोलि) तुर करके अपने हाथोण को किस के गल मैण पाइ करके
लगेगी भाव तिस समेण यमदूत किसी साथ मिलने भी नहीण देवेगा॥
वालहु निकी पुरसलात कंनी न सुणी आइ ॥
तांते हे भाई जौनसा जम के मारग मैण (पुरसलात) पुल है तिस की सार वाल ते
भी निकी है तैने तिस के दुख को कानोण ते सुणिआण नहीणहै॥
फरीदा किड़ी पवंदीई खड़ा न आपु मुहाइ ॥१॥
स्री फरीद जी कहिते हैण तां ते हे भाई (किड़ी पवंदीई) अवाजाण पैणदीआण होईआण
भाव वेद शासत्र के पुकारतिआण होइआण खड़ा हो कर अपने आप को (मुहाइ) लुकाइ नहीण
भाव येह वाहिगुरू के भजन करने मैण पुरशारथ कर॥१॥ एक समेण मैण फरीद जी रसते मैण
जाते हूए खरबूजे देख कर सवाल कीआ जब खेत वाले ने नहीण दीए तिस समेण मन मैण
वाही करने का संकलप करतिआण होइआण मोड़ करके स्री फरीद जी कहिते हैण॥
फरीदा दर दरवेसी गाखड़ी चलां दुनीआण भति ॥
हे मन परमेसर के दर दी (दरवेशी) फकीरी करनी (गाखड़ी) औखी है तां ते मैण
दरवेशी को छाड कर दुनीआण की (भति) तरह फेर चलां भाव येह वाही करोण॥

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