Faridkot Wala Teeka

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तिस समैण स्री गुर अरजन साहिब जी ते अुपदेश स्रवन करके वेदोण के सरूप जो
भज़ट हैण सतारां ही गिआन को पाइ करके स्राप निविरती का समाण जान कर प्रतज़ख
परमेसर सतिगुरोण का दरसन करते हूए स्री गुरू नानक साहिब जी ते आदि ले कर स्री
गुर अरजन साहिब जी प्रयंत सतिगुरोण का सुजस अुचारन करते भए अब प्रथमैण पहिली
पातशाही स्री गुरू नानक साहिब जी कासुजस बिशळ जी से मिलत मंगलाचरण रूप कहिते
हैण॥
सवईए महले पहिले के १
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
इक मनि पुरखु धिआइ बरदाता ॥
संत सहारु सदा बिखिआता ॥
मन को इकाग्र करके वरोण के दाता पुरख परमेसर का धिआन करता हूं॥ सो संतोण
का (सहारु) आसरा रूप सदा (बिखिआता) प्रगट हैण॥
तासु चरन ले रिदै बसावअु ॥
तअु परम गुरू नानक गुन गावअु ॥१॥
जब तिस वाहिगुरू के चरन कमलोण को ले कर रिदे मैण वसावणा करता हूं अरथात
तिन चरनोण का धिआन कीआ है (तअु) तिसी ते मैण सरब ते (परम) बडे सतिगुर नानक
देव जी के गुणों का गायन करता हूं॥१॥
गावअु गुन परम गुरू सुख सागर दुरत निवारण सबद सरे ॥
गावहि गंभीर धीर मति सागर जोगी जंगम धिआनु धरे ॥
तांते मैण तिन परम सुखोण के समुंद्र सतिगुरोण के गुणों को गायन करता हूं जो
सतिगुर (दुरत) पापोण के निवारने हारे (सबद) अुपदेस का (सरे) सरोवर है॥ जिस स्री
गुरू नानक साहिबजी के गुणों को गंभीर औ धीरजवान औ बुधी के समुंद्र जोगी औ जंगम
आदी संपूरन पुरश गावते हैण और रिदे मैण धिआन को धारन करते हैण॥
गावहि इंद्रादि भगत प्रहिलादिक आतम रसु जिनि जाणिओ ॥
पुना इंद्रदादिक देवता औ प्रहलाद आदी भगत सतिगुरोण के गुणों को गावते हैण॥
वहु गावणेहारे कैसे हैण जिनोण ने आतम रस को जाणिआ है॥
कबि कल सुजसु गावअु गुर नानक राजु जोगु जिनि माणिओ ॥२॥
'कल' नामा कवी कहिता है जिनोण ने राज मैण ही जोग वा (राजु) गिआन जोग को
भोगिआ है तिस स्री गुरू नानक साहिब जी का स्रेशट जस मैण गावता हूं॥२॥
गावहि जनकादि जुगति जोगेसुर हरि रस पूरन सरब कला ॥
पुना जनक आदिक राज रिखी औ जोग मैण (जुगति) जुड़े हूए जो जोगीओण के ईसर
हैण सो भी सरब कला मैण पूरन हरी रूप गुरोण के गुणों के रस को पूरब गावते हैण॥
गावहि सनकादि साध सिधादिक मुनि जन गावहि अछल छला ॥
और सनकादिक पुना (साध) साधन करने वा सिधोण ते आदि ले कर मुनी जन सभी
जो छलंे ते रहित हरी है औ जिसकी माया ने सभ को छला है तिस वाहिगुरू के गुणों को
गावते हैण॥
गावै गुण धोमु अटल मंडलवै भगति भाइरसु जाणिओ ॥

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