Faridkot Wala Teeka

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सवईए महले पंजवे के ५
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
सिमरं सोई पुरखु अचलु अबिनासी ॥
जिसु सिमरत दुरमति मलु नासी ॥
जो अचल अबिनासी पुरख है सोई सरूप को मैण सिमरता हूं जिस के सिम्रतिआण
होइआण खोटी सिखा रूप मल मेरी नास भई है॥
सतिगुर चरण कवल रिदि धारं ॥
पंना १४०७
गुर अरजुन गुण सहजि बिचारं ॥
हे स्री सतिगुर अरजन साहिब जी आपके चरन कमलोण को रिदे मैण धार कर मैण
आपके (सहजि) सांती आदिक (गुर) वडे गुणों को वीचारता हूं॥
गुर रामदास घरि कीअअु प्रगासा ॥
सगल मनोरथ पूरी आसा ॥
स्री गुरू रामदास साहिब जी के घर मैणआपने प्रकास कीआ है भाव प्रगट भए हो
औ आप की संपूरन मनोरथोण की आसा पूरन भई है॥
तै जनमत गुरमति ब्रहमु पछाणिओ ॥
कल जोड़ि कर सुजसु वखाणिओ ॥
अपने जनमतिआण ही गुरोण की (मति) सिखा ले कर ब्रहम को पछाणिआ है स्री
'कज़ल' जी कहिते हैण मैण हाथ जोड़ कर आपका स्रेशट जस वखान कीआ है॥
भगति जोग कौ जैतवारु हरि जनकु अुपायअु ॥
सबदु गुरू परकासिओ हरि रसन बसायअु ॥
भगती योग को जीतने वाले हो भाव धारने वाले हो हरी ने आप को (जनकु) गान
सरूप अुतपति कीआ है वा हरी (जनक) ने अपना आप रूप तुमारे को अुतपति कीआ है
जब स्री गुरू रामदास साहिब जी ने आप के रिदे मैण सबद का प्रकास कीआ है तब ही
आपने हरी का नाम रसना के अूपर बसाया है॥
गुर नानक अंगद अमर लागि अुतम पदु पायअु ॥
गुरु अरजुनु घरि गुर रामदास भगत अुतरि आयअु ॥१॥
जैसे स्री गुरू नानक देव जी के चरनी लाग कर स्री गुरू अंगद साहिब जी ने औ
स्री गुरू अंगद साहिब जी के चरनी लाग कर स्री गुरू अमरदास साहिब जी ने और स्री
गुरू अमरदास साहिब जीकी चरनी लाग कर स्री गुरू रामदास साहिब जी ने इह
गुरिआई दा अुतम पद पाइआ है॥ हे स्री गुरू अरजन साहिब जी तिसी प्रकार आप स्री
गुरू रामदास साहिब जी के ग्रह मैण भगती सरूप अवतार आइ अुतरे हो॥१॥
बडभागी अुनमानिअअु रिदि सबदु बसायअु ॥
मनु माणकु संतोखिअअु गुरि नामु द्रिड़ायअु ॥
वडभागी पुरसोण ने आप को भगती का अवतार (अुनमानिओ) निसचे कीआ है वा
वीचारिआ है पुना आप का (सबदु) अुपदेश रिदे मैण वसाया है। हे सतिगुर जी जिनोण को

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