Faridkot Wala Teeka

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पंना १५१
रागु गअुड़ी गुआरेरी महला १ चअुपदे दुपदे
सति नामु करता पुरखु निरभअु निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर
प्रसादि ॥
एक दास ने प्रशनु कीआ संसार सै अुधारन का कौनु करमु है॥ तिस पर कहते
हैण॥
भअु मुचु भारा वडा तोलु ॥
मन मति हअुली बोले बोलु ॥
परमेसर का भय (मुचु) बहुतु भारा है पुना (तोलु) वीचारु भी वज़डा है (मन) जीव
की बुधी तुछु है यां ते तुछु ही बोल अुचारता है॥
सिरि धरि चलीऐ सहीऐ भारु ॥
नदरी करमी गुर बीचारु ॥१॥
जब भै का भारु सिर पर धार कर सहार चलीए तब (नदरी) परमेसर की क्रिपा
से गुरोण दारे वीचारु प्रापति होता है॥१॥
भै बिनु कोइ न लघसि पारि ॥
भै भअु राखिआ भाइ सवारि ॥१॥ रहाअु ॥
हे भाई परमेसर के भय से बिना संसार समुंदर के पार को कोई नहीण प्रापत
होता ऐसे समझ कर जिन को परमेसर का भय प्रापति भया है तिनोणने अछी तरां से सवार
कर ह्रिदय मैण प्रेमु राखिआ है॥
भै तनि अगनि भखै भै नालि ॥
भै भअु घड़ीऐ सबदि सवारि ॥
जो सरीर मै भै धारन कीता है से भय अगनि है सो मन के भै नान (भखै) वधता है
अरथात तेज होता है वा मन मै जो भय है सो फूक मारने वाली नाल है जिन को भय
होइआ है तिनका (सबदि) अुपदेश बनाइ कर घड़ीता है भाव यहि कि तिनका अुपदेस
धारना सहित है॥
भै बिनु घाड़त कचु निकच ॥
अंधा सचा अंधी सट ॥२॥
अरु भै से बिना जो अगानी हैण तिनकी अुपदेश की घाड़त अती कची है और अुन
का अंतहकरन रूपु सचा भी (अंधा) अगान के सहत है अोर (सट) अुपदेश की रता भी
नहीण आवती इअुण कर वहु भी अंधी है॥२॥
बुधी बाजी अुपजै चाअु ॥
सहस सिआणप पवै न ताअु ॥
औरु तिन की बुधी मैण बाजीगर की बाजी समझो संसारु नास रूपु है तिसी का चाअु
अुतपति होता है अरु हजारोण चतुराईआण कर भी (बुधी) गयानी साधना के ताइ मेण नहीण
पड़ता॥नानक मनमुखि बोलंु वाअु ॥

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