Faridkot Wala Teeka
(सरजीअु) सरजीत अरथात जीवते जीवोण को काटते हो और प्राणोण से रहत जड़ोण को
पूजते हो अंत समेण भारी पीड़ा होवेगी। राम नाम की प्रापती जानी नहीण है इसी ते संसारी
जीव भै मैण डूबे रहते हैण॥३॥
देवी देवा पूजहि डोलहि पारब्रहमु नही जाना ॥
कहत कबीर अकुलु नही चेतिआ बिखिआ सिअु लपटाना ॥४॥१॥४५॥
देवी देवतिआण को पूजते (डोलहि) फिरते हैण पारब्रहम जानिआ नहीण॥
प्रशन: देवता भीब्रहम से भिंन नहीण है॥
अुज़तर: कबीर जी कहते हैण (अकुलु) पूरन जान कर नही सिमरिआ है प्रछिंन
जान कर पूजते हैण॥ जे कहे देवतिओण की सेवा किअुण करते हैण तिस पर कहते हैण तिनका
मन बिखिओण से लपटाइआ है इस वासते सेवा करते हैण॥४॥१॥४४॥
गअुड़ी ॥
जो कहे आतमानंद की प्रापती का प्रकार कहो जिस कर विखिओण की लंपटता दूर
होवे तिस पर कहते हैण॥
जीवत मरै मरै फुनि जीवै ऐसे सुंनि समाइआ ॥
अंजन माहि निरंजनि रहीऐ बहुड़ि न भवजलि पाइआ ॥१॥
जिस संसार के तरफ तिस की तरफोण मरे हैण और जिस परमेसर की तरफोण मरे
हूए अरथात बेमुख थे पुना तिस परमेसर की तरफ जीवे हैण ऐसे प्रकारोण कर तिन का मन
(सुंनि) अफुर मै समाइआ है और माइआ मै होते ही माइआ से असंग हो रहे हैण तिन
को बहुड़ संसार समुंद्र मै नहीण पाइआ है॥
मेरे राम ऐसा खीरु बिलोईऐ ॥
गुरमति मनूआ असथिरु राखहु इन बिधि अंम्रितु पीओईऐ ॥१॥ रहाअु ॥
हे मेरे भाई ऐसा राम नाम रूपी दूध रिड़कीए॥
प्रशन: कैसा?
अुज़तर: गुरोण की सिखा ले कर मन को इसथिरराखो इन प्रकारोण कर आतमा
आनंद रूपी अंम्रित पीजीए॥
प्रशन: जिनोण ने अंम्रित पीआ है तिनका अुदाहरन कहो॥
गुर कै बांि बजर कल छेदी प्रगटिआ पदु परगासा ॥
सकति अधेर जेवड़ी भ्रमु चूका निहचलु सिव घरि बासा ॥२॥
गुरोण के वाकां रूपी (बांि) तीर करके बां पद सलेख है दोनोण अरथ का जनक है
(बजर) द्रिड़ जो थी (कल) कलेस रूप अविदा सो (छेदी) काट दीनी और तिन को प्रकास
रूप आतम पद प्रगटिआ है अविदिआ के काटने का किआ रूप है (सकति) विदिआ
सकती करके जो भ्रम हो रहा था सो चूका है अविदा का काटना एही है और जैसे (अधेर)
अंधकार मे जेवड़ी के बीच सरप का भरम होता है॥ अर प्रकास कर नविरत होता है माला
फेरने वा डंडौत करने या पूजा कर दूर नहीण होता है तैसे गिआन कर भ्रमु नविरत हूआ
है अब भरम नविरती का फल देखावते हैण अचल जो ब्रहम शांती का घर है तिसमे वासा
हूआ है जे कहे आपने अविदा का नास तो कहा परंतू तिस के कारज जगत की गती
किआ हूई तिस पर कहते हैण॥
तिनि बिनु बांै धनखु चढाईऐ इहु जगु बेधिआ भाई ॥