Faridkot Wala Teeka

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गुरमुखोण ने भगवंत के जस से रहित आन राग साद सभ ताग दीए हैण गुरमुखोण
का यह मन भाव अंतहकरण भगती करके मोह निंद्रा से जागे हैण॥
अनहद सुणि मानिआ सबदु वीचारी ॥
आतमु चीनि भए निरंकारी ॥७॥
(अनहद) एक रस जो परमातमा है तिस को गुरोण से सुन कर मनन कीआ है अरु
ब्रहम के विचारने वाले हूए हैण और आतमा को राम रूप जान कर (निरंकारी) का सरूप
हूए हैण॥७॥
इहु मनु निरमलु दरि घरि सोई ॥
गुरमुखि भगति भाअु धुनि होई ॥
गुरमुखोण का यह मन निरमल है (दरि घरि) सरीर के अंदर सो परमेसर को जाना
है गुरमुखोण की संगत मेण भगति (भाअु) प्रेम करन ते (धुनि) ब्रिती ब्रहम रूपु होती है॥
अहिनिसि हरि जसु गुर परसादि ॥घटि घटि सो प्रभु आदि जुगादि ॥८॥
गुरोण की क्रिपा से रात दिन हरि का जस करते हैण सो आदि जुगादि प्रभ को घट
घट मेण जानते हैण॥८॥
राम रसाइंि इहु मनु माता ॥
सरब रसाइंु गुरमुखि जाता ॥
राम नाम (रसाइंि) अंम्रित मेण इह मन मसत हूआ है गुरमुखोण ने सरब
(रसाइं) रसोण का घरु अकाल पुरख को जाना है॥
भगति हेतु गुर चरण निवासा ॥
नानक हरि जन के दासनि दासा ॥९॥८॥
जिन का भगति मैण प्रेम है और गुरोण के चरनोण मेण निवास है स्री गुरू जी कहते हैण
हम ऐसे गुरमुखोण के दासनु दास हैण॥९॥८॥
पंना ४१६
आसा महला १ ॥
तनु बिनसै धनु का को कहीऐ ॥
बिनु गुर राम नामु कत लहीऐ ॥
राम नाम धन से बिनां जो दूसरा धन है जब सरीर म्रित हो जाता है तब वहु किस
का कहा जावै अरथात इस जीव का नहीण होता है पुत्र इसत्री आदि अधिकारीओण का होता
है और सचा धन जो राम नाम है सो गुरोण से बिनांकैसे प्रापत होवै अरथात गुरोण ही से
प्रापत होता है॥
राम नाम धनु संगि सखाई ॥
अहिनिसि निरमलु हरि लिव लाई ॥१॥
जिसने रात दिन सुध हरि मेण ब्रिती लगाई है राम नाम धन प्रलोक मेण तिस के
संग सहाई होता है॥१॥
राम नाम बिनु कवनु हमारा ॥
सुख दुख सम करि नामु न छोडअु आपे बखसि मिलावणहारा ॥१॥ रहाअु ॥

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