Faridkot Wala Teeka

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हे गुसाई यह जगत तेरा दास है और तूं जगत का (गुसाई) सामी हैण एक घड़ी
मेण सथापन करता हैण और फिर अुसी भांति (अुथापे) अुठावता भाव नास करता हैण धनु
बांट देता है॥१॥
कहां सु घर दर मंडप महला कहा सु बंक सराई ॥
कहां सु सेज सुखाली कामणि जिसु वेखि नीद नपाई ॥
कहा सु पान तंबोली हरमा होईआ छाई माई ॥२॥
वहु घर कहां हैण वह दारे कहां है (मंडप) वहु अूचे मंदर वा सभा मंडप और
महला इतमंदरोण के संबूह और सुंदर सराइ मुसाफरोण के रहने की कहां हैण जिन कामनीओण
के रूप की सुंदरता को देखकर रसिकोण ने नीणद नहीण पाई थी सेजा पर (सुखाली) सुखी
हो रही थी सो इसत्रीआण कहां हैण औरु पांन (तंबली) पानोण के बीड़े लगाने वालीआण (हरमा)
इसत्रीआण अरथात दासीआण कहां है सभ छाई माई हो गई अरथात लोप हो गई हैण वा
सभी वसतू माइक होंे ते ब्रिछोण की छावोण वत प्रणाम को प्रापत होईआण हैण॥२॥
इसु जर कारणि घंी विगुती इनि जर घंी खुआई ॥
पापा बाझहु होवै नाही मुइआ साथि न जाई ॥
जिस नो आपि खुआए करता खुसि लए चंगिआई ॥३॥
हे सामी इस धन के कारण (घड़ी विगूती) बुहत स्रिसी खराब हूई है और पीछे
भी इसी धन ने बुहत स्रिसी भुलाई है पापोण से बिनां इकत्र नहीण होती॥ अर मरने के
अुपरंत साथ नहीण जाती है जिसको करता पुरख आप (खुआए) भुलाता है अुस की
भलिआई खस लेता है॥३॥
कोटी हू पीर वरजि रहाए जा मीरु सुणिआ धाइआ ॥पंना ४१८
थान मुकाम जले बिज मंदर मुछि मुछि कुइर रुलाइआ ॥
कोई मुगलु न होआ अंधा किनै न परचा लाइआ ॥४॥
जब (मीरु) बादसाह बाबर का धावा सुना तब कोटांन कोट पीर जो पठानोण की
सहाइता करन वासते आए थे सो ईसर ने (वरजि रहाए) हटाइ रखे जितने (थान)
देवसथांन (मकाम) इसथर बहुत पुराने और बहुत से जो मंदरि थे जिनका बिजुली सम
प्रकास वा (बिज) पके मंदर लुटेरोण के आग लगाअुने से सो सभी जल गए (मुछि मुछि)
टुकड़े टुकड़े करके (कुइर) साहजादोण को गलीओण मैण रुलाइआ जो पीर कहते थे हम
सहाइता करेणगे जो आप पर नजर अुठावैगा सो अंधा होइ जाइगा सो किसी ने सकति
परचा न लगाइआ भाव थोड़ी भी करामात न देखाई अरु न कोई मुगलु ही अंधा
हूआ॥४॥
मुगल पठांा भई लड़ाई रण महि तेग वगाई ॥
ओनी तुपक तांि चलाई ओनी हसति चिड़ाई ॥
जिन की चीरी दरगह पाटी तिना मरणा भाई ॥५॥
एक ओर मुगल एक और पठान हो कर जुध करन लगे और जुध भूमि मेण बहुत
तलवारेण चलाई अुनोण ने (तुपक) बंदूक बल कर चलाई अुनो ने हाथोण पर बंदूकां चलाअुने

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