Faridkot Wala Teeka

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खोजी लधमु खोजु छडीआ अुजाड़ि ॥
तै सहि दिती वाड़ि नानक खेतु न छिजई ॥२॥
जिस आतम बसत के (खोजी) खोजने वाले हो रहे थे सो खोज (लधमु) पाइ लीआ
अगातता रूप (अुजाड़ि) जो जंगल था सो छोड़ दीआ है वा जिन कामादिक म्रिगोण ने सुभ
गुनोण रूपी खेती अुजाड़ छडी थी तिनका खोजु भाव पकड़ने का प्रकारु खोजी हो कर लभ लीआ
है हे (सहु) सामी तैने चारोण साधनोण की (वाड़) रोक देई है स्री गुरू जी कहते हैण अब
अंतसकरण खेत मेण जो आनंद प्रापत है तिस की हान नहीण होती॥२॥
पअुड़ी ॥
आराधिहु सचा सोइ सभु किछु जिसु पासि ॥
दुहा सिरिआ खसमु आपि खिन महि करे रासि ॥
जिसके पास सभ कुछ है ऐसा सो सचा अराधन करो दोनोणतरफोण भाव लोक प्रलोक का
आप सामी है एक खिन मैण सरब कारज रास करता है॥
तिआगहु सगल अुपाव तिस की ओट गहु ॥
पअु सरणाई भजि सुखी हूं सुख लहु ॥
सभ अुपावोण को ताग कर तिस का आसरा पकड़ो दौड़ कर तिस की सरन पड़ो सुख
का भी सुख जो ब्रहमानंद है तिस को प्रापति होहु॥
करम धरम ततु गिआनु संता संगु होइ ॥
जपीऐ अंम्रित नामु बिघनु न लगै कोइ ॥
सभ करम धरम और जथारथ गानु संतोण का संगु हो कर प्रापति होइगा अंम्रित
नाम जपने से फिर कोई बिघन नहीण लगैगा॥
जिस नो आपि दइआलु तिसु मनि वुठिआ ॥
पाईअनि सभि निधान साहिबि तुठिआ ॥१२॥
जिस पर आप दाल हूआ है तिस के मन मैण (वुठिआ) बसा है साहिब के प्रसंन
होने से सभ खजाने मिल जाते हैण॥१२॥
सलोक म ५ ॥
लधमु लभणहारु करमु करंदो मा पिरी ॥
इको सिरजंहारु नानक बिआ न पसीऐ ॥१॥
क्रिपा करने हारा मेरा पती (लभणहारु) खोजने हारोण ने (लधमु) पाइआ है सोई
एकअुतपंन करने हारा है स्री गुरू जी कहते हैण हे भाई (बिआ) दूसरा कोई नहीण
देखीता॥१॥
म ५ ॥
पापड़िआ पछाड़ि बांु सचावा संनि कै ॥
गुर मंत्रड़ा चितारि नानक दुखु न थीवई ॥२॥
सचे नाम का बान (संनि कै) जोड़ करके (पापड़िआ) पापोण को (पछाड़ि) भाव मार
(गुर मंत्रड़ा) मंत्र (चितारि) याद कर स्री गुरू जी कहते हैण तुझको दुख (न थीवई) न
होइगा॥२॥
पअुड़ी ॥

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