Faridkot Wala Teeka
हे भाई (जो जो) जिस जिस जोनी मैण जीव आइआ है अुस अुस मैण अुरझ रहा
अरथात फस रिहा है किआ तिस को अखी जान कर भूला हूआ है और पूरबले करमोण के
संजोग करके इह मनुख जनम पाइआ है इस जनम को पाइकर ऐसे बेनती करे॥
ताकी है ओट साध राखहु दे करि हाथ करि किरपा मेलहु हरि राइआ ॥१॥
हे संत रूप सतिगुरोण मैण आपकी (ओट) सरण ही रखा करनेहारी (ताकी) देखी है
तां ते अब मेरे को जमसासना से हाथ देकर राखो और किरपा करके मेरे को सरब के राजा
हरी साथ मिलावो॥१॥
अनिक जनम भ्रमि थिति नही पाई ॥
करअु सेवा गुर लागअु चरन गोविंद जी का मारगु देहु जी बताई ॥१॥ रहाअु
॥
मैण ऐसे मनोरथ करता हूं अनेक जनमोण मैण भरमतिआण होइआण इसथिती नहीण
पाई है तां ते सतिगुरोण की चरनी लागो अर सेवा करो पुना ऐसे बेनती करो हे गुरो मेरे
को गोबिंद के पावणे का मारग बताइ दीजीए॥१॥
अनिक अुपाव करअु माइआकअु बचिति धरअु मेरी मेरी करत सद ही
विहावै ॥
अनेक अुपाव अरथात अुदम करता हूं माइआ को (बचिति) विसेस कर चित मैण
वाचित के बीच धारन करता हूं और मेरे को मेरी मेरी करतिआ ही सदा आयू बीतती है॥
पंना ६८७
कोई ऐसो रे भेटै संतु मेरी लाहै सगल चिंत ठाकुर सिअु मेरा रंगु लावै ॥२॥
हे भाई ऐसा संत मिले जो मेरी सरब चिंता को दूर करै और ठाकर जी से मेरा
(रंगु) परेम लगावै॥२॥
पड़े रे सगल बेद नह चूकै मन भेद इकु खिनु न धीरहि मेरे घर के पंचा ॥
हे भाई मैने सरब बेद भी पड़्हे हैण परंतू मन ते भेद बुधी दूर नहीण भई मेरे घर
के पंच जो काम करोध आदि हैण सो खिन मातर भी नहीण (धीरहि) ठहिरते हैण॥
कोई ऐसो रे भगतु जु माइआ ते रहतु इकु अंम्रित नामु मेरै रिदै सिंचा
॥३॥
हे भाई ऐसा भी कोई भगतु है जो माइआ की प्रीत से रहित करके मेरे रिदे मैण
एक अंम्रित नाम का सिंचन करे॥३॥
जेते रे तीरथ नाए अहंबुधि मैलु लाए घर को ठाकुरु इकु तिलु न मानै ॥
हे भाई जितने तीरथ इसनान करे तिनोण करके अहंबुधी करअुलटी पाप वा
विकार रूपी मलनता का ही लगावणा कीआ (घर) सरीर का मालक जो मन है इक तिल
अरथात थोड़े मात्र भी मानता न भया॥ भाव से इन करमोण के करने करके मन ने
इसथिती नहीण पाई॥ वा घर दा ठाकर परमेसर हंकार करने ते इन करमोण को इक
तिल मात्र नहीण मानता है॥
कदि पावअु साधसंगु हरि हरि सदा आनदु गिआन अंजनि मेरा मनु इसनानै
॥४॥