Faridkot Wala Teeka

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बिलावलु महला १ थिती घरु १० जति
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
थितोण के संबूह का नाम जति कहीता है वा छंद की चाल वसेस है वैसे पंद्रह वा
सोलहि थितोण को भिंन भिंन लोक पूजन करते हैण। तैसे इन थितोण दारे वाहिगुरू की
पहिचान औ पूजन करने का स्री गुरू नानक देव जी अुपदेश करते हैण॥
एकम एकंकारु निराला ॥
अमरु अजोनी जाति न जाला ॥
एकम थित दारे कहते हैण एक सरूप सरब ते निराला है म्रित से रहित अरु
(अजोनी) जनम से रहत है औ तिस को कोई जाती का बंधनु भी नहीण है॥
अगम अगोचरु रूपु न रेखिआ ॥
खोजत खोजत घटि घटि देखिआ ॥
पुना जिसका कोई रूप रेखिआ नहीण है (अगम) मन का अविखे औ (अगोचरु)
इंद्रिओण ते अविखे है सरब घट घट मैण बापक देखिआ है भाव जाणिआ है॥
पंना ८३९जो देखि दिखावै तिस कअु बलि जाई ॥
गुर परसादि परम पदु पाई ॥१॥
जो आप देख कर जगासी को दिखावै तिस के अूपरोण मैण बलिहारने जाता हूं गुरोण
की क्रिपा ते धरम पद को पाईता है॥१॥
किआ जपु जापअु बिनु जगदीसै ॥
गुर कै सबदि महलु घरु दीसै ॥१॥ रहाअु ॥
हे भाई एक जगदीसर ते बिनां और कया जपको जपीए औरु सतिगुरोण के (सबदि)
अुपदेस कर (घरु) रिदे मैण ही जगदीस वाहिगुरू का (महलु) सरूप द्रिसट आ जाता
है॥१॥
दूजै भाइ लगे पछुतांे ॥
जम दरि बाधे आवण जाणे ॥
दुतीआ दुवारा कहते हैण जो दैत भाव मैण लगे रहते हैण सो जम के दर मैण बांधे हूए
सदा जनमते मरते रहते हैण।
किआ लै आवहि किआ ले जाहि ॥
सिरि जमकालु सि चोटा खाहि ॥
वोह किआ लै आवते हैण और किआ ले कर जावैणगे। भाव यहि पुंन करमोण से
रहित हूए हूए खाली ही आवते हैण और खाली ही चले जाते हैण॥ वहु भाग हीन अपने सिर
पर जमकाल कीआणचोटां खाते हैण॥
बिनु गुर सबद न छूटसि कोइ ॥
पाखंडि कीनै मुकति न होइ ॥२॥

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