Faridkot Wala Teeka
पंना ८७६
रामकली महला १ घरु १ चअुपदे
सति नामु करता पुरखु निरभअु निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर
प्रसादि ॥
परमेसर के आगे बेनती करते हैण॥
कोई पड़ता सहसाकिरता कोई पड़ै पुराना ॥
कोई नामु जपै जपमाली लागै तिसै धिआना ॥
कोई तो संसाक्रिता अरथात विआकरण पड़ता है पुनह कोई पुराना को पड़ता है
औ कोई जप माला लै के नाम को जपता है तिस पूरबअुकत मैण तिनोण का धिआन लगा हूआ
है॥
अब ही कब ही किछू न जाना तेरा एको नामु पछाना ॥१॥
मैने तो अब भी और कबी भी और कछू नहीण जानिआण है तेरा एको नाम ही मुकती
का दाता पछानिआ है॥१॥
न जाणा हरे मेरी कवन गते ॥
हम मूरख अगिआन सरनि प्रभ तेरी करि किरपा राखहु मेरी लाज पते ॥१॥
रहाअु ॥
हे हरी मैण नहीण जानता कि मेरी कौन गती होइगी हम अगान करके मूरख हूए
हैण हे प्रभू एक तेरी ही सरन लई है॥ इसते क्रिपा करके इस लोक मैण लाज औ प्रलोक मैणअबरो राखहु किअुणकि मेरे मैण कोई साधन नहीण है॥ मनकी चंचलता दिखावते हैण॥
कबहू जीअड़ा अूभि चड़तु है कबहू जाइ पइआले ॥
कबी तौ जीअु मेरा (अूभि) अुपर अूचे सरगादिकोण मैण जाता है मनो राज करके औ
कभी पइआल को जाता है॥
लोभी जीअड़ा थिरु न रहतु है चारे कुंडा भाले ॥२॥
इह मेरा मन ऐसा लोभी है कि एक जगा थिर नहीण रहिता है लोभ का मरिआ
चारे दिसा को ढूंढता है॥२॥
मरणु लिखाइ मंडल महि आए जीवणु साजहि माई ॥
एकि चले हम देखह सुआमी भाहि बलती आई ॥३॥
हम जीव मरणा लिखाइकै संसार चक्र मैण आए हूए हैण औ हे (माई) माइआ पती
परमेसर अपणा जीवणा ही साजते हैण भाव जीवण दे अुपाइ करते हैण॥ हे सामी एक तौ
चले जाते हम देखते हैण पुनह जो बाकी हैण तिन के वासते मौत रूप अगनी बलती आवती
है॥३॥
न किसी का मीतु न किसी का भाई ना किसै बापु न माई ॥
प्रणवति नानक जे तू देवहि अंते होइ सखाई ॥४॥१॥
जब म्रितू आया तब नहीण किसी का कोई मीत औ नहीण किसी का भाई रखज़क है ना
किसी को बाप ने ही राख लेना है ना माई ने॥ स्री गुरू जी कहिते हैण जे तूंकिसे को नाम