Faridkot Wala Teeka
परमेसर के अुपकार जनाइ करि अुपदेस करते हैण॥ अंजुली एह इक छंद की
जाती है॥
मारू अंजुली महला ५ घरु ७
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
संजोगु विजोगु धुरहु ही हूआ ॥
पंच धातु करि पुतला कीआ ॥
साहै कै फुरमाइअड़ै जी देही विचि जीअु आइ पइआ ॥१॥
संजोग पुना विजोग इहु आदोण ही होइआ चला आवता पंच तत इकत्र करके इहु
सरीर रूप पुतला कीआ है परमेसर के हुकम अनसार हे भाई जी इस देही के बीच जीअु
आइ पइआ है॥१॥
जिथै अगनि भखै भड़हारे ॥अूरध मुख महा गुबारे ॥
जिथै माता के अुदर मैण भड़ भड़ करके अगनी भखती है औ अूपर को मुख तथा
बडा अंधेरा है॥
सासि सासि समाले सोई ओथै खसमि छडाइ लइआ ॥२॥
(ओथै) वहां जीअु सास सास समालता था (सोई) अुसको अुस थाओण (खसमि)
प्रमातमा ने छुडाइ लीआ है॥२॥
विचहु गरभै निकलि आइआ ॥
खसमु विसारि दुनी चितु लाइआ ॥
जब गरभ के बीच से निकल के बाहरि आइआ तब परमातमा को बिसारके
माइआ मैण चितु लगाइआ है॥
आवै जाइ भवाईऐ जोनी रहणु न कितही थाइ भइआ ॥३॥
इसी से जमता मरता जोनीओण मैण भवाईता है इस जीव का रहिंा किसी सथल मैण
नहीण हूआ है॥३॥
मिहरवानि रखि लइअनु आपे ॥
जीअ जंत सभि तिस के थापे ॥
जिसको आप (मिहरवानि) परमेसर ने राख लीआ है वहु ऐसे जानता है। सूखम
असथूल जीव तिसी परमातमा के (थापे) बनाए हूए हैण॥
जनमु पदारथु जिंि चलिआ नानक आइआ सो परवाणु थिआ ॥४॥१॥३१॥
सोई पुरस जनम पदारथ को जित चलिआ है। स्री गुरू जीकहते है आइआ भी
तिसी का प्रवान हूआ है॥४॥१॥३१॥
पंना १००८
मारू महला ५ ॥
वैदो न वाई भैंो न भाई एको सहाई रामु हे ॥१॥