Faridkot Wala Teeka
मारू वार महला ५ डखणे म ५
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
इस मैण लंमे देस की बोली है ददे अखर के असथान डडा बोलेगा इसी कर डखणे
की वार कहीती है औ परमेसर के आगे जगासू की बेनती है वा डखणे छंदोण की चाल है॥
तू चअु सजं मैडिआ डेई सिसु अुतारि ॥
नैं महिंजे तरसदे कदि पसी दीदारु ॥१॥
हे मेरे सजन जे तूं कहेण तौ मैण अपना सीस अुतारके तुझको देवोण मेरे नेत्र तरसते
हैण तेरे दीदार को (कदि पसी) कब देखेणगे॥१॥म ५ ॥
नीहु महिंजा तअू नालि बिआ नेह कूड़ावे डेखु ॥
मेरा तेरे नाल प्रेम है मैण तेरे बिनां (बिआ) दूजे नेहु झूठे देखता हूं॥
कपड़ भोग डरावणे जिचरु पिरी न डेखु ॥२॥
हे पती जितना चिरु तैळ ना देखोण कपड़े औ भोग सभ (डरावणे) भैदाइक हैण॥२॥
म ५ ॥
अुठी झालू कंतड़े हअु पसी तअु दीदारु ॥
हे (झालू) आसरा रूप पती जब ब्रिती (अुठी) अुथान होवै वा जब मैण (झालू)
प्रातहिकाल अुठोण तब मैण तेरा ही दीदारु (पसी) देखोण॥
काजलु हार तमोल रसु बिनु पसे हभि रस छारु ॥३॥
काजलहार तंबोल अरथात पानोण के बीड़े एह जो सभ बाहरले रस हैण तेरे देखे बिनां
इह सभे ही छार रूप हैण वा (काजलु) पखंड दी समाधी (हारु) पखंड कर हरि हरि कहिंा
(तमोल) मिठे वाक बोलंे (रस) जो काब दे रस समझंे वा प्रेम कीआण बातां करनीआण हे
हरी आपदे दरसन बिनां इह सभ निसफल हैण॥३॥
पअुड़ी ॥
तू सचासाहिबु सचु सचु सभु धारिआ ॥
तूं सचा साहिबु हैण औ निसचे करके जो तैने संसार धारिआ अरथात बंाइआ है
एह भी सच रूप है॥
गुरमुखि कीतो थाटु सिरजि संसारिआ ॥
संसार को रच कर विच गुरमुखोण का थाटु अरथात बंाअु कीआ है॥
हरि आगिआ होए बेद पापु पुंनु वीचारिआ ॥
हे हरी तेरी आगिआ कर बेद हूए हैण जिनोण मैण से पाप पुंनोण को रिखीओण ने
बीचारिआ है॥
ब्रहमा बिसनु महेसु त्रै गुण बिसथारिआ ॥
ब्रहम बिसन सिव तीन गुणों करि इनको तैने रचिआ है वा इनोण ने तीनोण गुणों
का बिसथार कीआ है॥
नव खंड प्रिथमी साजि हरि रंग सवारिआ ॥
वेकी जंत अुपाइ अंतरि कल धारिआ ॥