Faridkot Wala Teeka
संतोण की महिमाण कहते हैण॥
पंना ११२३
रागुकेदारा बांणी कबीर जीअु की
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
अुसतति निदा दोअू बिबरजित तजहु मानु अभिमाना ॥
जो अुसतत अर निंदा दोनोण से (बिबरजित) रहित हूआ है पुना मन अर अभिमान
को भी तज दीआ है॥
लोहा कंचनु सम करि जानहि ते मूरति भगवाना ॥१॥
पुना लोहा अर सरन को बराबर समझा है हे भगवन सो पुरश आपका सरूप ही
है॥१॥
तेरा जनु एकु आधु कोई ॥
कामु क्रोधु लोभु मोहु बिबरजित हरि पदु चीनै सोई ॥१॥ रहाअु ॥
हे भगवन तेरा दास कोई एक आधा है भाव कोई विरला ही होता है वा एक
गानवान आधा जगासू है किअुणकि जो पुरश काम क्रोध लोभ मोह से रहत होता है हे हरी
आपके पद को सोई पुरश (चीनै) जानता है॥१॥
रज गुण तम गुण सत गुण कहीऐ इह तेरी सभ माइआ ॥
जो रजो गुण अर तमो गुण पुना सतो गुण कहीते हैण एह सभ तेरी ही माया है॥
चअुथे पद कअु जो नरु चीनै तिन ही परम पदु पाइआ ॥२॥
(चअुथे पद) तुरीआ साखी को जो पुरश जान लेता है तिसने ही तेरे अुतक्रिसट पद
को अरथात मोख को पाया है॥२॥तीरथ बरत नेम सुचि संजम सदा रहै निहकामा ॥
तीरथ ब्रत नेम पुना सौच संजमोण को करता हूआ भी सदीव निसकाम रहिता है॥
त्रिसना अरु माइआ भ्रमु चूका चितवत आतम रामा ॥३॥
तिसके रिदे से त्रिसना अर (माइआ) छल अर भरम चूक गिआ है और (आतम
रामा) आपको बापक रूप जाणकर चिंतन करता है॥३॥
जिह मंदरि दीपकु परगासिआ अंधकारु तह नासा ॥
जिस पुरश के अंतहकरण मंदर मैण गिआन रूप दीपक प्रकासा है तिस का
अगान रूपी अंधकार नशट हूआ है॥
निरभअु पूरि रहे भ्रमु भागा कहि कबीर जन दासा ॥४॥१॥
हे निरभअु तिसने आपको पूरन हो रहे जाना है अर भरम तिस का (भागा) दूर
होइआ है स्री कबीर जी कहते हैण वहु परुश तेरा दास है॥४॥१॥ अब बनज के प्रकार से
नांम की महतता अर अपना निसचा प्रगट करते हूए अुपदेश करते हैण॥
किनही बनजिआ कांसी तांबा किनही लअुग सुपारी ॥
किसी ने तो संसार मैण कासी तांबा खरीद कीआ पुना किसी ने लौणग सपारी आदि
बसतूओण का बनज कीआ है॥
संतहु बनजिआ नामु गोबिद का ऐसी खेप हमारी ॥१॥