Faridkot Wala Teeka

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सो दरु रागु आसा महला १
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
सोदर जी से आदि ले कर भई प्रापति मानुखदेहुरीआ ईहां परयंत सायंकाल की
रहिरास स्री गुरू अरजन साहिब जी तक गुरू मत के लोक पड़ते थे फिर स्री गुरू गोबिंद
सिंघ सचे पातिसाह के समे इस मे चअुपई आदिक और दसम गुरू की बांणी भी मिलाई
गई है। इस सबद का अरथ जपजी के सोदर मे हो चुका है कोई कोई अखर का पाठ भेदु
है अुथानका इस की ऐसे अलज़ग कथन करते हैण कि जब ध्र लोक सेण आगे बैकुंठ लोक मै
गए हैण तब एहु सबदु भगवंत के सनमुख अुचारन कीआ है वा जब बीबी नानकी जी ने
सुलतानपुरि मै पूछा है कि हे भाई जी आप जो सेख सांई पास गए थे सो अूहां कैसा घरु
दरु देखा तब बीबी जी को जपजी का सोदरु सुनाइआ है इस से कुछ पाठांत्र रज़ख दीआ है
सो ईहां सनमुख बेनती मै लगावनां वा कोईक महातमाण ऐसे भी कहते हैण कि जपजी का
सोदरु सिधोण के प्रसनु का अुतरु दीआ है और रहिरास का सोदरु बीबी जीके प्रसनु का
अुतरु दीआ है। और आसा का सोदरु सज़चखंड ध्रलोक से अूपर जाकर कथनु कीआ है।
वासतव ते दो ही सोदर हैणएक जपजी का और एक आसा राग का और आसा राग का ही
रहिरास मै लिखिआ है कोई और तीसरा नहीण॥१॥
सो दरु तेरा केहा सो घरु केहा जितु बहि सरब समाले ॥
हे भगवंत तेरा सो दरवाजा कैसा है अरु सो घरु कैसा है जिस मै इसथित हो कर
सरब जीवोण की खबर लेता हैण भाव तेरा वासतव ते घरु अरु दरु कुछु कहा नहीण जाता
परंतू जगासूओण के धान निमत आपने घर दर का कुछु वरनन करते हैण सतसंग दरु
सरूपु घरु वा संसार दरु बैकुंठ घरु सो अब तेरे संसार घर दर की रचना कहते हैण॥
वाजे तेरे नाद अनेक असंखा केते तेरे वावणहारे ॥
हे असंख भाव बियंत रूपु तेरे दारे पर अनेक ही नाद आदिक वाजे हैण अरु तेरे
दर मै (केते) बहुते ही तिन वाजोण के वजावने वाले हैण॥
केते तेरे राग परी सिअु कहीअहि केते तेरे गावणहारे ॥
तेरे दारे पर कितने ही रागंीयो के सहित राग कहीते हैण अरु तेरे दारे पर
कितने ही तिन राग और रागंीओण के गावने वाले हैण तिन गावने वालिओण को संखेप से
कहते हैण।
गावनि तुधनो पवणु पांी बैसंतरु गावै राजा धरमु दुआरे ॥
आप को पौं अरु पांी पुन: बैसंतरु गावता है औरु धरम राजा भी तेरेदारे पर
तेरा जसु गावता है॥
गावनि तुधनो चितु गुपतु लिखि जाणनि लिखि लिखि धरमु बीचारे ॥
जो जीवोण के गुपत करमोण को लिख जानते हैण सो चित्र गुपत जी भी तेरे जसु को
गावते हैण अरु लिख लिख कर धरम अधरम का वीचारु करते हैण॥
गावनि तुधनो ईसरु ब्रहमा देवी सोहनि तेरे सदा सवारे ॥
तुझ को (ईसरु) सिवजी अरु ब्रहमाण सहित देवीओण के जो तेरे (सवारे) बनाए हूए
हैण सो सदा ही गाइन करते सोभते हैण॥
गावनि तुधनो इंद्र इंद्रासंि बैठे देवतिआ दरि नाले ॥

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