Sri Gur Pratap Suraj Granth

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स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि १) १८१

मिल करि तहिण अहार को खावहि।
श्री परमेशुर नाम बखानै।
-अबि न जाअुण कित-, द्रिड़ नितु ठानै ॥४०॥
इति श्री गुर प्रताप सूरज ग्रिंथे प्रिथम रासे स्री अमर मिलन प्रसंग
बरनन नाम पंचदशमोण अंसू ॥१५॥


*पा:-संगति महिण मिल करि तब जावै।

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