Sri Gur Pratap Suraj Granth
स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (रुति ५) २२८
२५. ।प्रशनोतर। कलि वरतारा॥
२४ॴॴपिछला अंसू ततकरा रुति ५ अगला अंसू>>२६
दोहरा: अुज़तर अपर जि रहि गए
सतिगुर सभिनि बताइ१।
सुनि कै जिन कअु२ रिदे महि
निशचैततछिन आइ ॥१॥
३तां रिखि शुभ गोपद सुवन
दीना श्राप बनाइ।
मरन काल नभ शबद हुइ
गो करनी तजि जाइ७ ॥२॥
सकल पाप जे भूम महि
बसेण आइ पद मांझ।
श्रोता बकता को लगै
कबै न पूज कराणझ४ ॥३॥
५अनधाइ बिज़दा घुखै
सो बादी जग मांहि।
दारिद आरबल नाश हुइ
१सारिआण ळ दज़सो।
२जिन्हां अुत्राण ळ।
३अुस शुभ रिखी ने गअू दे पैराण दे पज़त्र भाव तमाकू ळ मारन समेण श्राप दिज़ता जो अकाश बाणी
(होके सुणाई दिता कि तमाकू दे पीं वाले ळ) शुभ करनी छज़ड जाएगी। सौ साखी विच पिछले
अंसू वाले रिखी दी जद तमाकू पीं नाल मंत्र शकती दूर हो गई अगली तुक फिर इहो है कि
तां रिख सुत.... तां अुस वेले रिखी सुत ने स्राप दिज़ता। जिस तोण सिज़ध होइआ कि गुर प्रताप
सूरज विच पिछले अंसू वाली कथा ही चल रही है। परंतू कई गिआनी इस दोहे दा होर अरथ
करदे हन, कि यमदगनी ने जदोण सहज़स्र बाहू ळ कामधेन गां, जो अुस ने सुरगां तोण मांगवी मंगाई
सी, ना दिज़ती तां गअू अकाशां ळ अुज़ड चली। सहज़स्र बाहू ने तीर मारिआ गअू देपैरोण लहू ढज़ठा
जिस तोण तमाकू अुपजिआ, सहज़सर बाहू ने यमदगनी दा सिर कट दिज़ता, अुस वेले आकाश बाणी
होई कि तमाकू वरतं वाले दी गो करनी नशट हो जाएगी ।गो करनी=धरती ते रहिके कीती शुभ
करनी या वेद अनुसार कीती करनी॥।
४भूमी दे जो सारे पाप हन अुह तमाकू विच आके वज़संगे, (अुस तमाकू पीं वाले) वकता
(ब्राहमण तोण) जो श्रोता कथा सुणेगा अुस ळ वी लगणगे, इस करके (ऐसे ब्राहमण दी) पूजा कदे
ना करो। ।पद दा भाव है;-गो पद सुवन=तमाकू। टूक-अगे २९ अंसू विच इस ग़िकर दा पता
सकंध संहिता विचोण दिज़ता है (देखो अंसू २९ अंक ४) ते सकंध संहिता विच ऐअुण लिखिआ है;-
दातारं नरकं याती ब्राहमणो ग्राम शूकरा। अरथात-तमाकू पीं वाला दानी नरक ळ जाएगा ते
तमाकू पीं हार दान लैं वाला ब्राहमण पिंड दा सर बणेगा।
५देखो अगले सफे दा अंक १।