Sri Gur Pratap Suraj Granth
स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (रुति ६) २९७
३८. ।चमकौर जंग-जारी॥
३७ॴॴपिछला अंसू ततकरा रुति ६ अगला अंसू>>३९
दोहरा: भयो जुज़ध अतिशै प्रबल, नादति तुपक कमान।
शूंकत सरप समान सर, गुलकाण लगि भट हान ॥१॥
भुयंग प्रयात छंद: कहां बीर चाली छुधाविंत भारे।
कहां एक नौ१ लाख आए हकारे।
अभूतं ब्रितंतं सुनोण देव जाला२।
मिले एक थान अचंभै बिसाला ॥२॥
-कली काल मैण एव कैसे लरंते?
गुरू जी करामात ना सूचियंते३।
असंभै महां ते अचंभै बिलदे।
बिलोकैण चलैण- चाअुण चीतं अुठदे४ ॥३॥
अरूढे बिमान पयानति आए।
जहां गैन को, खेह ते सैन छाए५।
अटारी बिखै नाथ को देखि बंदे।
लराई बिलोकैण -परो दीह दुंदे६ ॥४॥
तुफंगैण तड़ाके, सड़ाकैण कड़ाकैण७।
झड़ा झाड़ तेगे झड़ाकैण मड़ाकैण८।हला हाल हूल हलैण हेल लोहे९।
लगे श्रों लाल ढुके ढाक सोहे१० ॥५॥
घने गंध्रबं सिज़ध आए अकाशा।
थिरे देवता भूर होयो प्रकाशा।
अुडैण ग्रिज़ध ब्रिज़धं वधो जुज़ध अुज़धं।
११+९=१० लख।
२जो ब्रितंत कि अज़गे कदे नहीण वरतिआ देवतिआण सारिआण ने सुणिआ सी।
३जंाअुणदे नहीण।
४महान असंभव गज़ल तोण बहुत अचंभा होके चिज़त विच चाअु अुपजिआ कि चज़लो देखीए।
५जिज़थे सैना दी गरद तोण आकाश छादन हो रिहा सी।
६भारी जुज़ध हो रिहा है।
७तड़ज़क करके बंदूक चलदी है सड़ज़क करदी (गोली) जाणदी है ते कड़ज़क (करके वज़जदी है)।
८अुतो थली तेगे झड़ाक मड़ाक हो रहे हन। ।झड़ाक तोण भाव तलवार नाल ठहिकं ते मड़ाक तोण
ढाल नाल तलवार ठहिकं दा लिआ जाणदा है॥।
९हलाहाल दा रौला पै रिहा है ते शसत्राण नाल हज़ले हो रहे हन। (अ)...... शसत्राण दे हमले नाल
हिल गए (वैरी)।
१०छिज़छरे फुज़ले होए शोभदे हन।