Sri Gur Pratap Suraj Granth

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स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि १) ५५१

इमि श्री अमरदास के पोते।
जनम लीनि गुन गन के पोते।
सुनहि पठहि चित दे निति एह१।
बिन संतति के संतति देहि२ ॥५६॥
अपर कामना पूरी करै।
श्री गुरु अमर कथा जो ररै।
भुकति मुकति कीए बड दाता।
फल लहि जिनहुण महातम जाता ॥५७॥
इति श्री गुर प्रताप सूरज ग्रिंथे प्रथम रासे स्री अमरदास पौत्रन जनम
प्रसंग बरनन नाम एक अून शशटी* अंसू ॥५९॥१इह (कथा)।
२बिनां संतान वालिआण ळ संतान देणदी है।
*पा:-नौ पंचासमो। अुनसाठमो। एकौन सशटी।

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