Faridkot Wala Teeka

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नदरि करे मेलावा होइ ॥
सो आपे ही जुग जुग मैण जगत का करता है जिस पर वहु क्रिपा द्रिशटी करता है
तिसी को गुरोण का मिलाप होताहै॥
गुरबांणी ते हरि मंनि वसाए ॥
नानक साचि रते प्रभि आपि मिलाए ॥४॥३॥
तिन गुरोण की अुपदेस रूप बांणी कर जो हरी मन मैण बसावते हैण स्री गुरू जी
कहिते हैण इस प्रकार जो सच मैण रते हैण सो प्रभू ने अपने मैण मिलाइ लीए हैण अरथात
अभेद हैण॥४॥३॥
धनासरी महला ३ तीजा ॥
जगु मैला मैलो होइ जाइ ॥
आवै जाइ दूजै लोभाइ ॥
इहु जगत मैला है इसकी संगति से जीव मैला होता है इसी ते इह जीव दैत
मेण लुभाया हूआ आवता जाता अरथात जनमता मरता है॥
दूजै भाइ सभ परज विगोई ॥
मनमुखि चोटा खाइ अपुनी पति खोई ॥१॥
दैत भाव मेण ही सभ (परज) परजा भाव स्रिसटी विगोई है तां ते मनमुख पुरश
आगे जम कीआण चोटां खाएणगे और ईहां तिनोण ने अपनी पति खोई है॥१॥
गुर सेवा ते जनु निरमलु होइ ॥
अंतरि नामु वसै पति अूतम होइ ॥ रहाअु ॥
सतिगुरोण की सेवा ते ही जननिरमल होता है॥ जब रिदे अंतर हरि नाम वसे तब
अुतम पत होती है॥१॥
गुरमुखि अुबरे हरि सरणाई ॥
राम नामि राते भगति द्रिड़ाई ॥
इस दुबिधा ते गुरमुखि हरी की सरणाई हो कर अुबरे हैण किअुणकि तिनोण ने
अपने रिदे को भगती द्रिड़ाई है औ विआपक नामी मैण राते हैण॥
भगति करे जनु वडिआई पाए ॥
साचि रते सुख सहजि समाए ॥२॥
जो जन भगती करते हैण सो वडिआई कौ पावते हैण अर साच मैण रते हैण इसी ते
वहु सांति सुख मैण समाए हैण॥२॥
साचे का गाहकु विरला को जाणु ॥
गुर कै सबदि आपु पछाणु ॥
तांते साचे का गाहक जगासी कोई विरला ही जाणो और जो गाहक है सोई गुर
अुपदेस दारा आपना आप पछानता है॥
साची रासि साचा वापारु ॥
सो धंनु पुरखु जिसु नामि पिआरु ॥३॥
जिनोण की सरधा रूपी सची रास है तिनोण का अुपदेस देंा लैंा रूपी वपार भी सचा
है तां ते जिसका नामी के बीच पिआर है सोपुरख धंन है॥३॥

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