Faridkot Wala Teeka

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तिन गुरोण की क्रिपा ते अब सरब समेण अनंद भया है किअुणकि निरभै करता
गोबिंद मेरे को मिला है स्री गुरू जी कहते हैण हरी के चरनोण मैण पड़ने ते सरब सुख (लाधे)
प्रापति भए हैण॥८॥
सफल सफल भई सफल जात्रा ॥
आवण जाण रहे मिले साधा ॥१॥ रहाअु दूजा ॥१॥३॥॥
अब हमारी मन तन बांणी करके सतिगुरोण की सरण आवणे की यात्रा करनी सफल
भई है संत जनोण को मिल कर आवण जाणा अरथात जनम मरन से रहति भए हैण॥
एक समैण कुरखेत्र असथान मैण तीरथ के मेले को लोक जाते थे किसी प्रेमी ने स्री
गुरू जी से कहा कि महाराज आप भी चलो दस पुरब इकत्र हूए हैण॥ सो दस पुरब येहहैण, जेस मास १ सुकलापख २ दसमी थित ३ हसत निखत्र ४ बुधवार ५ गुरकरण ६
अनंद योग ७ वितीपात ८ कंनां का चंद्रमाण ९ ब्रिखका सूरज १० इह दस पुरब का
इसनान दस पापोण कौ हरता है॥ सो पाप येह है, बिन दई वसतू दा ग्रहण १ वेद विधान
बिन हिंसा २ परदारा गमन ३, येकाइक पाप, रुखा बोल १ झूठ बोलना २ चुगली करनी
३ अनरथ बोलना ४ एह बाचक पाप, परधन के ग्रहण की इछा १ पर का बुरा चितवना
२ पराई बिभूती को देखकर जलना ३ ये मानसिक पाप हैण, इन दस पापोण को दूर करता
दस पुरब हैण तां ते आप भी चलीए तब तिस के प्रथाइ स्री गुरू नानक साहिब जी अुचारन
करते हैण॥१॥३॥
धनासरी महला १ छंत
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
तीरथि नावण जाअु तीरथु नामु है ॥
तीरथु सबद बीचारु अंतरि गिआनु है ॥
और कौन से तीरथ बीच इसनान करने जावोण जो सरब का सिरोमणी नाम रूपी
तीरथ प्रापति है पुना गुरोण के (सबद) अुपदेस दारा जो गिआन का बीचार है सोई हमारे
रिदे अंतर तीरथु है॥
गुर गिआनु साचा थानु तीरथु दस पुरब सदा दसाहरा ॥गुरोण का गिआनु ही सचा (थानु) तीरथु है वा तीरथ असथान तिन दस पुरबोण के
फलवत मेरे कौ (दसाहरा) अनंद है वा तिस गिआन कर जो दस इंद्रोण का दमनु कीआ
है इही दस पापोण को हरा है वा तिस गुरगिआन तीरथ से (सदा दसाहरा) दसदा है
सैणकड़े पापोण को हरा है भाव तिन दस पुरबोण के फल से सौ गुणां अधक फल देता है वा गुर
गिआन तीरथ ही (दसदाहे) सौ पुरबोण वत पवित्र है तिसी ते हमारा मन हरा हूआ है
अर तुम भी ऐसे बेनती करो॥
हअु नामु हरि का सदा जाचअु देहु प्रभ धरणीधरा ॥
हे हरी प्रभू (धरणीधरा) धरती के धारन हारे किआ वराह अवतार के धारन वारे
मैण आपका नाम सदा माणगता हां सो मैळ देहो॥
संसारु रोगी नामु दारू मैलु लागै सच बिना ॥
इह संसार तो रोगी है और नाम ही (दारू) औखधी है तां ते सचे नाम बिनां इस
जीवको पाप रूपी मैल लागती है॥

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