Faridkot Wala Teeka

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रागु सूही बांणी स्री कबीर जीअु तथासभना भगता की ॥
कबीर के
सरब को सांझा अुपदेश करते हैण॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
अवतरि आइ कहा तुम कीना ॥
राम को नामु न कबहू लीना ॥१॥
हे जीव (अवतरि) अवतार रूप मानुख जनम मैण आइ कर तुमने किआ कीआ
भाव कुछ सुभ करम ना कर लीआ पुना राम के नाम को भी कबी नहीण जपा॥
राम न जपहु कवन मति लागे ॥
मरि जइबे कअु किआ करहु अभागे ॥१॥ रहाअु ॥
हे अभागे जीव राम नहीण जपते किस खोटी सिखिआ मेण लागे हो जिन करमोण कर
जनम मरण होवै तिनोण करमोण को किआ करते हो॥
दुख सुख करि कै कुटंबु जीवाइआ ॥
मरती बार इकसर दुखु पाइआ ॥२॥
दुख सुख करके भाव जिस किस प्रकार से अपने कुटंब को (जीवाइआ) पालिआ
मरन काल मैण (इकसर) इक रस वा एकता वा एक अपने सिर पर तैणने दुख पाइआ
है॥२॥
कंठ गहन तब करन पुकारा ॥
कहि कबीर आगे ते न संमारा॥३॥१॥
जब जमदूत तुमारा गला पकड़ेगा तब फरिआदि नहीण करी जावेगी वा पुकार
करैगा कबीर जी कहते हैण मरन काल से आगे परमेसर को (न संमारा) याद ना कीआ तौ
इह चिंता रहि जाएगी जो पहिले मैण नाम सिमरन किअुण न कीआ भाव जो नाम सिमरन है
सो सुआस सुआस करहु॥३॥ वैराग सूचन कराअुते हैण॥
सूही कबीर जी ॥
थरहर कंपै बाला जीअु ॥
ना जानअु किआ करसी पीअु ॥१॥
मेरा जीअु असमझ अती कांपता है नहीण जानता कि पीआ मेरा किआ हाल
करेगा॥१॥
रैनि गई मत दिनु भी जाइ ॥
भवर गए बग बैठे आइ ॥१॥ रहाअु ॥
प्रतख रात चली गई है मत भजन बिनां दिन भी चला जावै (भवर) राती के पहर
काले चले गए (बग) चिटे दिन के पहिरि आइ इसथित हूए हैण। वा (रैनि) भाव
जुआनी चली गई है मत (दिनु) भाव बुढेपा भी बिअरथ जाता होवे (भवर) काले केस
चले गए हैण जो (बग) धौले केस हैण सो आन इसथित हूए हैण॥१॥
काचै करवै रहै न पानी ॥हंसु चलिआ काइआ कुमलानी ॥२॥

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