Faridkot Wala Teeka
पंना ७९५
सति नामु करता पुरखु निरभअु निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर
प्रसादि ॥
रागु बिलावलु महला १ चअुपदे घरु १ ॥
स्री अकाल पुरख जी के सनमुख बेनती अुचारण करते हैण॥
तू सुलतानु कहा हअु मीआ तेरी कवन वडाई ॥
हे वाहिगुरू तूं जो सरब का पातिशाहु हैण अर मैण तेरे को मीआण करके अुचारण
करअुण तअु तेरी कौनसी वडिआई है॥द्रिशटांत देते हैण॥ जैसे किसी वडे पातशाह को मीआण
कहणे से वडिआई नहीण होती और सुन कर वहु प्रसंन भी नहीण होता तैसे हे निरंकार
रावणारी मधसूदन मुरारी आदी कहिंे से तेरी कुछ पूरण वडिआई नहीण है अरथात तूं
अक्रै अबिनासीसरूप हैण वा (कहा) किथे तूं (सुलतानु) पातिशाहु अर कहां मैण (मीआ)
छोटा सरदार भाव तूं ईशर मैण तुछ जीव हूं मैण कौं हां जो तेरी बिअंत वडिआई को कहि
सकां॥
जो तू देहि सु कहा सुआमी मै मूरख कहणु न जाई ॥१॥
तांते हे सुआमी जो तूं कहिंा देता हैण सो मैण अुचारन करता हूं तेरी किरपा से
बिनां मैण मूरख पासोण तेरी वडिआई अधक कथन नहीण करी जाती है॥१॥
तेरे गुण गावा देहि बुझाई ॥
जैसे सच महि रहअु रजाई ॥१॥ रहाअु ॥
हे वाहिगुरू मेरे ताईण ऐसी समझ देवो जिस करके तेरे गुणों को गाइन करोण पुना
हे (रजाई) हुकम करने वाले पातशाह ऐसी किरपा करो जिसते तेरे सच सरूप मैण सदा
ही इसथित रहूं जेकर आप कहो आगे की तां तूं मेरे गुणां को गाइन करता ही हैण तिस
पर कहते हैण॥
जो किछु होआ सभु किछु तुझ ते तेरी सभ असनाई ॥
जो इह सभ कुछ प्रपंच भा है सो सभ कुछ तेरे ही फुरने से हूआ है पुना तेरी
सरब विखे (असनाई) प्रीती है॥
तेरा अंतु न जाणा मेरे साहिब मै अंधुले किआ चतुराई ॥२॥
हे मेरे साहिबा मैण तेरा अंत नहीण जाणता हां मैणअंधले की कोई चतुराई नहीण है
भाव इह कि तेरी किरपा ही से तेरा सरूप जाण सकीता है भाव जो किछ पहिले मैने कहा
है सो सभ तेरी किरपा से ही कहा है॥२॥
किआ हअु कथी कथे कथि देखा मै अकथु न कथना जाई ॥
(कथी) तेरे जस के कथन करने वारिओण के कथन करे होए जो शासतर हैण तिन को
मैण किआ अुचारण करके देखोण वा कथन वाला होके तेरीआण कथा को मैण कथन करके देखा है
हे (अकथु) वाहिगुरू तेरा समज़गर जस मेरे से कथन नहीण करिआ जाता॥
जो तुधु भावै सोई आखा तिलु तेरी वडिआई ॥३॥
तिसी ते हे करतार जो तैळ भावती है सोई (तिलु) थोड़े मातर तेरी वडिआई को
मैण अुचारन करता हूं॥३॥
एते कूकर हअु बेगाना भअुका इसु तन ताई ॥