Faridkot Wala Teeka

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पंना ९७५
रागु नट नाराइन महला ४
सति नामु करता पुरखु निरभअु निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुरप्रसादि ॥
मेरे मन जपि अहिनिसि नामु हरे ॥
कोटि कोटि दोख बहु कीने सभ परहरि पासि धरे ॥१॥ रहाअु ॥
सैमन के प्रथाइ अुपदेस करते हैण॥ हे मेरे मन जिनोण ने दिन रात नाम हरी का
जपिआ है करोड़ जनमोण मैण बहुत कोट जो दोख कीने थे परहार करने वाले जीव को सो सभ
हरी नाम ने तिन के (पासि धरे) पासे धर दीए भाव दूर करे हैण॥
हरि हरि नामु जपहि आराधहि सेवक भाइ खरे ॥
किलबिख दोख गए सभ नीकरि जिअु पानी मैलु हरे ॥१॥
जो सेवक भाइ को धारके मुख करके हरी नाम को जपते हैण औ मन करके हरी नाम
को अराधते हैण सो (खरे) सभ से चंगे हैण तिन के महां पाप औ दोख सभ ऐसे निकल गए
हैण॥ द्रिसांत॥ जैसे पानी मैल को हर देता है॥१॥
खिनु खिनु नरु नाराइनु गावहि मुखि बोलहि नर नरहरे ॥
जो नर खिन खिन मैण नाराइन के जस को राग मैण पाइकै गावते हैण औ सुभावक
मुख से जो पुरस नरसिंघ रूप धारने वाले के नाम को बोलते हैण॥
पंच दोख असाध नगर महि इकु खिनु पलु दूरि करे ॥२॥
पंच काम आद दोख जो असाध तिन के (नगर) सरीर मैण से सौ इकखिन पल मैण
दूर करि दीए हैण॥२॥
वडभागी हरि नामु धिआवहि हरि के भगत हरे ॥
वडभागी जो हरी के नाम को धिआवते हैण वहु हरी के भगति (हरे) अनंद हूए
हैण॥
तिन की संगति देहि प्रभ जाचअु मै मूड़ मुगध निसतरे ॥३॥
हे प्रभू मैण तेरे पासोण एही माणगता हूं मेरे को तिनोण की संगत देहि किअुणके अुन की
संगति करके मेरे जैसे अती मूरख कई तरे हैण॥३॥
क्रिपा क्रिपा धारि जगजीवन रखि लेवहु सरनि परे ॥
हे जग जीवन क्रिपा सरूप क्रिपा धारके हमको राख लेहु हम तेरी सरन परे हैण॥
नानकु जनु तुमरी सरनाई हरि राखहु लाज हरे ॥४॥१॥
स्री गुरू जी कहते हैण मैण दास तेरी सरन आइआ हूं हे हरी असाडी लजिआ रख
लेवो जो हम अनंद होईए॥४॥१॥
नट महला ४ ॥
राम जपि जन रामै नामि रले ॥
राम नामु जपिओ गुर बचनी हरि धारी हरि क्रिपले ॥१॥ रहाअु ॥
राम जप के दास राम नामी मैण मिल गए हैण गुर अुपदेस करि जब राम नाम
जपिआ तब हरी जो क्रिपा का घर है तिस हरी ने क्रिपा धारी है॥

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