Faridkot Wala Teeka

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पंना १३५२
सति नामु करता पुरखु निरभअु निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर
प्रसादि ॥
रागु जैजावंती महला ९ ॥
स्री गुरू तेग बहादर साहिब जी अुपदेश करते हैण॥
रामु सिमरि रामु सिमरि इहै तेरै काजि है ॥
हे भाई मन बांणी कर सदा राम के नामका ही सिमरनु करु इही सिमरन तेरे
कांम आवेगा॥
माइआ को संगु तिआगु प्रभ जू की सरनि लागु ॥
जगत सुख मानु मिथिआ झूठो सभ साजु है ॥१॥ रहाअु ॥
तांते माया के संग कौ तिआग करके प्रभू जी की सरन मैण लागु और जगत के
संपूरन सुखोण को (मिथिआ) झूठे करके मान किअुणकि इहु जितना साजु द्रिसट आवता है सो
सभ झूठा ही है॥
सुपने जिअु धनु पछानु काहे परि करत मानु ॥
बारू की भीति जैसे बसुधा को राजु है ॥१॥
हे भाई इस धन को सपनवत झूठा ही पछान किस बात पर तूं (मानु) हंकार
करता हैण (बारू) मोटे रेते की दीवार जैसे इसथित नहीणरहिती तैसे ही इहु (बसुधा)
प्रिथवी का राजु है भाव एह खिन भंगर है॥१॥
नानकु जनु कहतु बात बिनसि जैहै तेरो गातु ॥
छिनु छिनु करि गइओ कालु तैसे जातु आजु है ॥२॥१॥
स्री गुरू जी कहिते हैण हे भाई तुझको हम अुपदेस की बात कहते हैण इह (गातु)
सरीरु तेरा (बिनसि) नास हो जावेगा जैसे छिन छिन कर कल का दिन गिआ है तैसे आज
भी चला जाता है॥२॥१॥
जैजावंती महला ९ ॥
रामु भजु रामु भजु जनमु सिरातु है ॥
हे भाई सरब समेण मैण वारंवार राम नाम का सिमरन कर किअुणकि इह मानुस
जनम (सिरातु) बीतता जाता है॥
कहअु कहा बार बार समझत नह किअु गवार ॥
बिनसत नह लगै बार ओरे सम गातु है ॥१॥ रहाअु ॥
तांते मैण तुझको वारंवार किआ कहूं हे गवार तूं किअुण नहीण समझता हैण इस को
बिनसतिआण होइआण (बार) देरी नहीण लगेगी किअुणकि इहु (गात) सरीर (ओरे) गड़ेवत
खर जाने हारा है भाव से प्रणामी है॥
सगल भरम डारि देहि गोबिंद को नामु लेहि ॥
अंति बार संगि तेरै इहै एकुजातु है ॥१॥

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