Sri Gur Pratap Suraj Granth

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स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि १) १३९

हिंदुसतान करी सर१ आइ*।
खान नाम सभिहिनि मरिवाइ ॥६२॥
दोहरा: सतिगुर बेपरवाहु नित,
राग दैश२ चित नांहि।
करहिण भावना३ पाइण तिमि,
जे नर चलि ढिग जाहिण ॥६३॥
इति श्री गुर प्रताप सूरज ग्रिंथे प्रथम रासे स्री अंगद हुमाअु प्रसंग
बरनन नाम दशमोण अंसू ॥१०॥


१फते कीती।
*हमायूं लाहौर तोण सिंध हुंदा होइआ फारस पहुंचा, ओथे कई बरस रहिके फेर आके अुस ने हिंद
पठां तोण फतह कीता।
ईसवी संन १५४० विच हमायूं हारिआ ते १५५६ ईसवी संन विच फेर जिज़तिआ सी।
२मोह ते वैर।
३जेही इज़छा।

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