Sri Gur Pratap Suraj Granth

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स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (ऐन २) १५९

ता कि मैण तुमहारे और तुमहारे भाई के खून से अुस पर दसतखत
करूं और मेरा मुआहिदा तकमील पावै।
।दौलत राय सफा १९०
जिस वेले कलीधर जी ने साहिबग़ादिआण दी शहादत दी खबर सुणी तद अुन्हां दे
दिल ते की असर होइआ? कुछक लेखकाण दी ग़बानी इस तर्हां है:-
गुरू गोबिंद सिंघ ने आपणे दोनोण पुतरोण की बीरगतीपाने का समाचार बड़े धैरय
के साथ सुना, इस खबर को सुनकर वे ग़रा भी विचलत नहीण हूए,
अुनके माथे पर ग़रा भी शिकन नहीण आई, अुन का तेज, अुनका
अुतसाह, और अुनकी हारदिक प्रसंनता पहिले से और भी अधिक
बड़्ह गई। ।राम जी लाल शरमा, सफा ७०
(साहिबग़ादोण की शहीदी की) जिस वकत गुरू गोबिंद सिंघ को खबर मिली वोह
जट पुर मेण थे, इनकी आणख से आणसू या ग़बान से आह का लफग़
नहीण निकला।
।शिव बरत लाल ऐम. ए., सफा १६८
साहिबग़ादा अबदुल नी, जो औरंगग़ेब दी औलाद विचोण सी, लिखदा है कि: बेटे के
कतल होने की पहुंची जूंही खबर। जाना यिह बाप ने के हूआ कतल
वो पिसर। शुकरे अकाल पुरख कीआ झट अुठाके सर। और अरग़ की
कि बंदह पै क्रिपा की कर नग़र। मुझ पर से आज तेरी इमानत
अदा होई। बेटोण की जान धरम की खातर फिदा हूई।
।जौहिरे ते
चमकौरदी घटना पिछोण जद महल दसम पातशाह पास पुज़जे, दीवान विज़च
साहिबग़ादे बैठे ना दिज़से, साहिबग़ादिआण दी पुज़छ कीती, सज़चे
पातशाह ने संगत वल इशारा करके इस भाव दे बचन अुचारे:-
इन पुतरन के सीस पै वार दीए सुत चार।
चार मूए तो किआ भइआ ए जीवत कई हग़ार।
कलीधर जी ने चमकौर ते सरहिंद दी घटना मगरोण औरंगग़ेब ळ ग़फरनामा
लिखिआ, अुहदे विच साहिबग़ादिआण दी शहादत दा ग़िकर इहनां
अज़खराण विच कीता है कि:-
चिहा शुद कि चूं बज़चगां कुशतचार।
अरथ: की होइआ जे चार बज़चे मारे गए हन।
इह अंदर ते बाहर दीआण गवाहीआण दज़सदीआण हन कि साहिबग़ादिआण दीआण
शहादतां कलीधर जी लई मौत तज़क पुचा देण वाली चिंता ते
निरासता करन वालीआण नहीण सी, अुह चड़दीआण कलां विच रहे ते
पूरी दनाई, दूरंदेशी, मुआमला फहिमी ते चड़्हदीआण कला नाल
अपणे आदरश ते अुदेश विच अंत तज़क लगेरहे।
जे कलीधर जी चाहुंदे तद दो साहिबग़ादिआण ळ, जो चमकौर दी गड़्ही विज़च अुहनां
दे नाल सन, बाहर लिआ सकदे सन। सिंघां दी मौजूदगी विज़च

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