Sri Gur Pratap Suraj Granth
स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि ६) ३२०
३९. ।करीम बखश बज़ध॥
३८ॴॴपिछला अंसू ततकरा रासि ६ अगला अंसू>>४०
दोहरा: लघु सुत तबहि नबाब को,
करि शिताब अुमडंति।
जोण जोण आगे होति है,
तोण तोण जंग मचंति ॥१॥
पाधड़ी छंद: करि हलाहूल बहु ग़ोरशोर।
बड परो रौर चहुं ओर घोर।
भरमंति ग्रिज़ध मुख मास धारि।
गन भए काक कूकति पुकारि ॥२॥
खज़पर भरंति बहु श्रों संग।
करि पान जोगनी नाचि अंगि१।
सिर खिंड झंड झुंडन प्रचंड२।
हड़ हड़ हसंति बड भीम तुंड३ ॥३॥
आमिख भखंति गहि रुंड मुंड४।
गन दंत संग करि खंड खंड।
ले हयनि पूछ सिर पर धरंति।
नर मुंड माल५ लांबी करंति ॥४॥
भटहूंनि हाथ कै पाइ काट६।
धरि कै सिकंध पिखि आनि डाट७।
हय चरन आगले किन८ अुखार।
बिचरंति ब्रिंद हाथनि अुभार ॥५॥
किनहूं सु आणत्रै ग्रीव डारि।
गन भूत प्रेत पावति धमार९।
बहु खाहि मास, करि श्रों पान।
१(अंग =) सरीर ळ नचाअुणदीआण हन।
२(जिन्हां) सारीआण (जोगणीआण दे) सिर अुते (प्रचंड झंड =) भानक वालखिंडे होए हन।
३मूंह।
४धड़ ते सिर।
५मनुखां दे सिराण दी माला।
६सूरमिआण दे हज़थ या पैर कज़ट के।
७होरनां ळ ताड़दीआण हन।
८किन्हां ने।
९लुडी, नाच।