Sri Gur Pratap Suraj Granth
स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (रुति १) ५२
५. ।दसतार बंदी॥
४ॴॴपिछला अंसू ततकरा रुति १ अगला अंसू>>६
दोहरा: जबि नौमे पतिशाह गुर, गए बिकुंठ मझार।
गुरदिज़ता ब्रिध बंस को१, सरब प्रकारनिहारि ॥१॥
चौपई: तजि दिज़ली ततछिन चलि गयो।
पंच कोस पर प्रापति भयो।
अपनि बडे को पिखो सथाना।
कितिक काल ब्रिध रहो सु जाना२ ॥२॥
पौढो तहां कुशासन करि कै३।
श्री सतिगुर मूरति अुर धरि कै।
दसमो दार पौन ते फोरा।
त्रिं सम निज सरीर को छोरा ॥३॥
हेरि नरनि तिह ठां ससकारा।
अबि लौ चिंन्हति थान निहारा*।
तिस गुरदिज़ते को सुत पाछे।
राम कुइर ब्रहम गानी आछे ॥४॥
रामदास के४ ग्राम अवास।
निज सिख करे सकेलनि पास।
आरबला लघु है जिस केरी।
त्रै संबत बीते तिस बेरी५ ॥५॥
तिन घर जेतिक सिज़ख सयाने।
प्रथम रीति सतिगुर की जाने।
ले करि गन अकोर चलि आए।
संग दास सिख करि समुदाए ॥६॥
पातिशाहि के जथा वग़ीर।
१बाबे बुज़ढे दी वंश दा।
२बाबा बुज़ढा रिहा सी अुह (थां) सिआणिआण।
३कुशां दा आसन विछाके।
*इह टिकाणा जो कवी जी ने आप डिज़ठा है ग़रूर होसी पर हुण चोखी तलाश करन ते बी अजे तक
पता नहीण लगसकिआ, मुमकिन है इह थां मजळ दे टिज़ले तोण (जो दिज़ली तोण ३ मील है) जमनां
पार घास दी जूह विच दो कु मील अगेरे किते होवे, या दरया दे किसे कोप वेले मिट गिआ होवे,
विशेश खोज दी लोड़ है।
४रमदास नगर है, अंम्रतसर ग़िले विच।
५जद श्री गुरदिज़ता जी प्रलोक गए सन श्री राम कुइर जी दी अुमर त्रै साल दी सी।