Sri Gur Pratap Suraj Granth
स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (ऐन १) १४पहिला ऐन चलिआ
*ੴ सतिगुर प्रसादि+ ॥
ॴ श्री वाहिगुरू जी की फते+ ॥
अथ पूरब ऐन++ लिखते।
अरथ-हुण पहिला ऐन (दखंायन) लिखदे हां।
१. ।इश देव-श्री अकाल पुरख-मंगल॥
ॴॴपिछला अंसू ततकरा ऐन पहिला अगला अंसू>>२
दोहरा: दया दयानिधि की भई, अुज़दम दया बिसाल।
चहो ग्रंथ पूरन कीयो, पूरन प्रभू अकाल ॥१॥
अरथ: (जो) ग्रंथ (कि मैण रचंां) चाहिआ सी, सो पूरन प्रभू अकाल ने पूरन करवा
लिआ है, (इह मेरे पर) दइआ निधि दी किरपा होई है (जिस ने
इतना) वज़डा अुज़दम बखशिआ।
२. इश देव-श्री गुरू नानक देव जी-मंगल।
कबिज़त: बेदी बंस भूखन जे पूखन अदूखन से
तिमर कलूखन पखंड छपि तारे हैण।
पीर सिज़ध धीर करामात के गहीर गन
मान सैल चढे गुरू* नानक अुतारे हैण।
*छापे दे नुसखे विच इस तोण पहिलां श्री अकाल पुरख जी सहाइ छपिआ होइआ है,जो किसे
लिखती नुसखे विच देखं विच नहीण आइआ।
+दोहां मंगलां दी वाखिआ पिज़छे आ चुज़की है देखो रास तीजी दा आदि।
++ऐन=अयन=पथ, रसता, भाव, बरस दा अज़ध। जदोण सूरज अुज़तर रुज़ख ते दज़खं रुज़ख रहिदा
भासदा है जो सूरज दी चाल मूजब गिंीणदा है। लगपग ९-१० पोह तोण ९ या दस हाड़ तक
अुतरायण ते ९-१० हाड़ तोण ९-१० पोह तक दखंायन। अुतरायण=मकर तोण मिथन तक छे
राशीआण, जदोण सूरज अुतर ळ झुकाअु रखदा है। दखंायण=करक तोण धन तक छे राशीआण, जदोण
सूरज दज़खं ळ झुकाअु रखदा है। पज़छमी त्रीकाण मूजब सूरज २२ दसंबर ळ अुज़तर रुज़ख पकड़दा है
इह सभ तोण छोटा दिन हुंदा है, फिर वधदा वधदा २१ जून ळ अुज़तरी अयण दी हज़द तज़क अज़पड़
जाणदा है। २१ जून सभ तोण वज़डा दिन हुंदा है। इसी तर्हां फिर सूरज दज़खं दी गती पकड़दा है ते
२३ दसबंर दे करीब दज़खंी अयन दी हज़द ते अज़पड़दा है। ग्रंथ दा नाम गुर प्रताप सूरज होण
करके इस दे अंतले दो खंडां दा नाम कवी जी ने अयन रखिआ है। इसे अंसू दे अंक ८ विच
कवी जी ने क्रम दछणायन ते अुत्रायन दिज़ता है अते दूसरे ऐन विच किते किते पद अुत्रायन
आइआ है, इस तोण सपशट हो गिआ कि पूरब ऐन तोण कवी जी दा भाव दखंायन तोण है।
।संस:,अयन=रसता। सूरज दा रसता॥। (देखो=रुत १, अंसू १, अंक १६ दे पदारथ)।
*पा:-बावे।