Sri Gur Pratap Suraj Granth

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स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (रुति ५) ४२३

४५. ।वेदांत विचार॥
४४ॴॴपिछला अंसू ततकरा रुति ५ अगला अंसू>>४६
दोहरा: ।गुरू:-॥+
१ईशर मूरत गान की,
सिख संसार ते पार।
सो सतिगुर अुज़तम अधिक,
इतर गुरू विवहार६ ॥१॥
चौपई: ।सिज़ख:-॥++
बिबेक , विराग , ममुखता २, तीन।
१ २ ३
३खटधा चतुरथ, सम , दम , चीन।
४ १ २
अुपरति , ततिज़खा , शरधा , करै१।
३ ४ ५
समाधान , चातुशटै धरे४ ॥२॥

सिख सोई लख लहिकज़लां५।
अपर देह पोखनि के जानि६।
।अुपदेश:-॥
७होइ बिचार आतमा नातम।
गान सरूप पाइ अुर हातम५ ॥३॥
सिख के नाशहि बंध कलेश८।
तिस को नाम भनैण अुपदेश।


+गुरमत विच गुरू दा की दरजा है? अगले अंसू विच दज़संगे।
१सिख ळ संसार तोण पार करने वाला अुह सतिगुरू अधिक अुज़तम है जिस विच (ब्रहम) गान दी
इसथिती है अुह ईशर मूरती है। होर गुरू विवहार (मात्र) हन।
(जिन्हां अरथां विच गुरू पद दसां पातशाहीआण नाल वरतीणदा है अुह अरथ एथे नहीण।
शासत्री लोक गुरू पद आम अुसताद दे अरथां विच वरतदे हन, चाहो किसे विदा दा अुसताद
होवे)।
++गुरू, सिज़ख, अुपदेश आदिक सिरनामेण पाठकाण दे सुख लई असीण दे रहे हां इस करके इन्हां ।
॥ निशानां दे विच दिज़ते हन।
२मोख दी इज़छा।
३चौथे खटसंपज़ती जो इह है:-सम, दम, अुप्रति, ततिज़खा, शरधा, समाधान। सूचना-वेरवा देखो
अज़गे अंक ३० तोण ३४ तक।
४जो इह चार (बिबेक, वैराग, मोख इज़छा, खटसंपज़ती) धारे।
५अुह सिज़ख है ते जाण लओ कि अुह कज़लान ळ पा लवेगा।
६होर (सिज़ख) देह पालनहारे जाणो।
७(जिसविच) आतमा अनातमा दा विचार होवे (अते) सरूप दे गान ळ पाके (अगान) दा
अंधेरा दिल विचोण दूर हो जावे।
८(जिस नाल) सिज़ख दे बंधन ते कलेशू दूर हो जाण।

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