Sri Gur Pratap Suraj Granth

Displaying Page 445 of 626 from Volume 1

स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि १) ४६०

सो जमुना सलिता हुइ बही।
जिस हित सकल बारता कही।
पावन जल पापन को नासनि।
रज़छा करहि आपने दासनि ॥४३॥
इति श्री गुर प्रताप सूरज ग्रिंथे प्रथम रासे जमना प्रसंग बरनन नाम
अशट चतारिंसती अंसू ॥४८॥

Displaying Page 445 of 626 from Volume 1