Sri Gur Pratap Suraj Granth
स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि १) १०१
दोहरा: बालू हसना, फूल पुनि, गोणदा अरु अलमसत।
मुज़ख१ अुदासी इह भए, बहुरो साध समसत२ ॥४५॥
चौपई: तिन ते बिदतो३ पंथ अुदासी।
लाखहुण भए करहिण तप रासी।
श्री नानक के अस जुग नदन४।
कवि संतोख सिंघ ठानति बंदन ॥४६॥
इति श्री गुर प्रताप सूरज ग्रिंथे प्रथम रासे श्री नानक पुज़त्रन प्रसंग
बरनन नाम खशटमोण अंसू ॥६॥
१मुखीए।
२सारे।
३प्रगटिआ।
४दोवेण सपुज़तराण ळ।