Sri Nanak Prakash

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बनी४, अुरमाल बिसाल५ सुहाई
जनु शांति सरूप शिंगार धरे
जग मैण प्रगटो६ निज भाव दिखाई ॥४५॥
दोहरा: सोहति बीच बरात के, कंचन महिण७ मणि सोइसजति बेदीअन की सभा, लजति सुधरमा८ होइ ॥४६॥
सैया: बारमुखी९ सिर मांग सवार सभा के
मझार भली बिधि आई
बादित गायक१० संग लए
पग११ नेवर१२ बाजनी१३ आनि वजाई
तालनि१४ संग म्रिदंग मुचंग
अुपंग१५ तंबूरन ताल मिलाई
रागनि१६ राग भरे अनुराग सोण
मोहन को मन तान बसाई ॥४७॥
त्रिभंगी छंद: चं चटपट१७ नारी लेति भवारी


१कड़े
२सोने दे
३बहुत
४बहुज़टे फबे हन
५गले विच लबी माला
६मानोण शांत रस शिंगार दा रूप धार के प्रगटिआ है शिंगार रस दे समान:-महिणदी, पीले कपड़े,
कंगण, बहुज़टे शांत रस दे सामान:-अनद अुदारता, जीअका जनेअू, माला
७जिवेण सोने विच
८इंद्र (दी सभा)
९गाइन वालीआण
असल गल इह है कि इन्हां तोण पहिले दा लिखती सिख इतिहास वेशवा दे प्रसंग ळ लत
साबत करदा है इक विदेशी इतिहासकार पुरातन जनमसाखी ते भा: मनी सिंघ जी दी जनम
साखी दे आधार ते तिलवंडी वाले बाह प्रसंग ते लिखदा है कि बालपने अुमरे ही पिता ने अुन्हां
दा विआह करदिज़ता सी विशेस समझं लई देखो टूक अधाय २१ अंक २३ श्री गु: नानक
प्रकाश पूरबारध
१०वजाअुण ते गाअुण वाले
११पैरीण
१२झांजर
१३किंकनी
१४कैणसीआण
१५नसतरंग वाजा
१६रागनी
१७छेती

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