Sri Nanak Prakash
१७५८
३३. नाम दी शकति शेख इब्राहीम फरीद सानी नाल गोशट॥
३२ੴੴ पिछला अधिआइ ततकरा अुतरारध - ततकरा पूरबारध अगला अधिआइ ੴੴ३४
{पाकपटन} ॥२॥
{शेख ब्रहम नाल गोसट} ॥३..॥
दोहरा: सिमरि नाम सभि काम हैण, पुन न जाइण जम धाम
अपन सरूप अनूप को, जानि लेति अभिराम ॥१॥
पुन=फेर, भाव मर के धाम=घर
अनूप=जिस दी अुपमां नहीण हो सकदी अभिराम=सुंदर
अरथ: (वाहिगुरू दा) नाम सिमर (जो तेरे) सारे कंम (पूरे) हो जाण (ते) फिर
(तूं) जम दे घर ळ (भी) ना जावेण (अते) अपने सुंदर सरूप ळ जिस दी
अुपमां नहीण हो सकदी (बी) पछां लवेण
भाव: काम है-तोण मुराद है इस लोकदीआण कामना पूरन होण जम धाम ना जाण
तोण मुराद है कि नरक ना जावेण, अथवा जम दी कचहिरी ही ना जाणा पवे
मुराद है पारलौकिक दुख कोई ना होवेगा ते तीसरी गज़ल है कि गिआन हो
जाएगा, अपने सरूप दी लखता हो आवेगी भाव नाम नाल, लोक प्रलोक दे
सुख ते गिआन प्रापत हुंदा है
श्री बाला संधुरु वाच ॥
चौपई: श्री अंगद! सुनीए इतिहासा
आगे गमन कीन सुखरासा
शेख फरीद पटं* है जहिणवा {पाकपटन}
शेख ब्रहम तबि बसिई तहिणवा ॥२॥ {शेख ब्रहम नाल गोसट}
तिह के मिलिनि हेति गतिदाई
दोइ कोस पर बैठे जाई
शेखब्रहम का इक मुरीद* तहिण
आयो ईणधन१ चुनिनि, गुरू जहिण ॥३॥
सो दरवेश खुदाइ पिआरा
रिदे बंदगी केर२ अधारा
*इह इक बड़ा पुरातन हिंदू राज समेण दा नगर है, इस दा असली नाम अजोधन सी पटन
नाम है शहिर दा, ते पज़तं दा खिआल है कि कदे दरया इथे तज़क वहिंदा सी तेइथे पज़तं
सी पाकपटन नाम मुसलमानां धरिआ है, बाबे फरीद दे रहिं करके, पाकपटं अरथात पवित्र
शहिर शेख ब्रहम बाबे फरीद दा गज़दी नशीन सी, इस ळ फरीद सानी बी कहिंदे हन इह बी
बड़ा तपज़सी पुरश होइआ है, गुरू जी ळ मिलके इस ळ ठढ पई सी फरीद दी बाणी फरीद
सानी अरथात शेख ब्रहम दी रची होई संभावित हुंदी है
*पु: ज: साखी विच इसदा नाम कमाल दिज़ता है
१बालं
२दा