Sri Nanak Prakash

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लजति चीत निकेत, बरो दुरि१ बैसयो
ग्रीव नीव करि मशटि, सोच तन२ जैसयो
धरनि खनित३, चख नीर४, भरे भरि आवई
हो करुना मूरति धरी५, मनोण पछुतावई ॥५७॥लखो६ नानकी तिसै, तुंड मुरझाइआ
जल बिन तोरी नाल७, कमल कुमलाइआ
चित चज़क्रति अति चिंत, कहहु कस भी८ तुमेण?
हो शोक सिंधु महिण मगन, बतावहु निज गमै९ ॥५८॥
अुचरे बचन जराम, अकीरति१० जहिण तहां
धरम रीति बिपरीति११, चिंत चित मुहि महां
भ्रात तुमारो गयो, संगि न्रिप खान के
हो करि है आज निवाज, मसीत पयान के ॥५९॥
चतुर बरन महिण रौर१२, -तुरक तहिण होइ है-
गयो खान चलि आप, संग बहु लोइ१३ हैण
शोक सिंधु महिण मगन१४, सुनति मम मन भयो
हो पोत१५ न प्रापति मोहि, जतन बहु बिधि ठयो ॥६०॥
*भनति१६ नानकी बचन, न चिंता कीजीये


१छुपके
२फिकर दा वजूद
३खोत्रदा है
४अज़खां विज़च अथ्र
५रों ने मूरत धारके
६डिज़ठा
७तुज़टी नाली दा
८की होइआ है
९आपणी चिंता
१०निदा
११अुलटी होण लगी है
१२रौला
१३लोक
१४रक
१५जहाज
*स्री बेबे नानकी जी दा अडोल निशचा तेसतिगुरू नानक देव जी दा अति अुज़चा प्रताप इन्हां
बचनां तोण प्रगट है चिज़त दी शकती लई ते मन दे सुख लई अडोल निशचा है, जगासूआण दे
दिल लई तुल्हा है
१६किहा

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