Sri Nanak Prakash

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४८. धयान महिमा शिवनाभ प्रति अुपदेश योग॥

{शिवनाभ दे प्रेम दा प्रीखिआ} ॥५॥
{शिवनाभ दा राणी दा नां चंदकला} ॥१८..॥
{दो प्रकार दा जोग} ॥२५॥
{कशट योग दे अज़ठ अंग} ॥२६..॥
{१ यम} ॥२७..॥
{तिंन प्रकार दी हिंसा१} ॥२८ ॥ {सज़च २} ॥३०॥
{दो प्रकार दी चोरी ३} ॥३० ॥ {ब्रहमचरज ४} ॥३२॥
{अज़ठ प्रकार दा काम} ॥३२ ॥ {धीरज ५} ॥३५॥
{खिमा ६} ॥३६ ॥ {दया ७} ॥३७॥
{कोमलता ८} ॥३८ ॥ {शुज़ध आहार ९} ॥३८॥
{सौच १०} ॥३९॥
{२ नेम} ॥४०॥
{तिंन प्रकार दा तप १} ॥४१ ॥ {दो किसम दा संतोख २} ॥४३॥
{आसतिक बुज़ध ३} ॥४६ ॥ {तिंन प्रकार दा दान ४} ॥४७॥
{पूजा ५} ॥५१ ॥ {पाठ ६} ॥५२॥
{पड़्हे सुणे अुते अमल ७} ॥५३ ॥ {शातकी ब्रिति ८} ॥५४॥
{पाठ विधि ९} ॥५५ ॥ {होम १०} ॥५५॥
{ब्रहम होम} ॥५६॥
{३ इकंत देश} ॥५९॥
{४ आसं} ॥६० ॥ {सिज़ध आसं} ॥६२॥
{पदम आसं} ॥६४॥ {५ प्राणायाम दे अंग} ॥६५॥
{६ धिआन} ॥७१ ॥ {दो प्रकार दा धिआन} ॥७२॥
{धारना} ॥७४॥ {८समाधि} ॥७६॥
{सा-विकलप समाधि} ॥७७ ॥ {निर-विकलप समाधि} ॥७८॥
{भगति योग दे अज़ठ अंग} ॥८०॥
दोहरा: श्री गुरु धान सु भानु सम,
रिदा कमल बिगसाइ
कविता रचौण जथामती,
कहौण कथा सुखदाइ ॥१॥
भानु=सूरज
जथामती=(अपनी) मति अनुसार, बुज़धी अनुसार
अरथ: श्री गुरू जी दा धान सूरज समान है, (जो) हिरदे (रूपी) कमल ळ खिड़ा
दिंदा है (इस खिड़े हिरदे दी दशा विच मैण अपनी) मति अनुसार कविता
रचके सुखदाई कथा (अज़गोण) कहिंदा हां
श्री बाला संधुरु वाच ॥

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