Sri Nanak Prakash

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५३. गुरचरण मंगल सुधरसैन॥

{बिसीहर देश दा राजा सुधरसैन} ॥४॥
{झंडा बेढी} ॥९ ॥ {इंद्रसैन} ॥१३॥
{गुरू जी वलोण गिआन अुपदेश} ॥४७॥
{धन धान अरपन} ॥५२ ॥{सरीर अरपन} ॥५५॥
{अंतहकरन अरपन} ॥५९ ॥ {संकलप मन दा धरम} ॥६१॥
{निशचा बुज़ध दा धरम} ॥६४ ॥ {चितवना चिज़त दा धरम} ॥६६॥
{हअुमै अहंकार दा धरम} ॥६७॥
{इंद्रसैन ळ मंजी बखशं लगे} ॥७६ ॥ {झंडे ळ मंजी बखशी} ॥७९॥
{सुधरसैन गुरू जी दी शरन} ॥९० ॥ {सुधरसैन दी निम्रता} ॥९८॥
दोहरा: श्री गुरू पग गिर ओट मम,
छोडोण कबहुण न भूल
बिघन जि पवन समान हैण,
तां को डर नहिण मूल ॥१॥
गिर=पहाड़ परबत,
ओट=आसरा, ओहला, एह द्रिशटांत स्री गुरू ग्रंथ साहिब जी विच भी आया
है:- तूं परबत मेरा ओला
अरथ: श्री गुरू जी दे चरण पहाड़ (वाणू) मेरा आसरा हन, कदे भुज़लके (भी) मैण
(इन्हां ळ) नां छज़डां, (किअुणकि) विघन जो पवन वाणू हन (परबत दे ओहले)
अुन्हां दा डर मूलोण नहीण (रहिंदा)
श्री बाला संधुरु वाच ॥
चौपई: कहि बाला स्री अंगद! सुनीए
गुरू इतिहास सरब शुभ गुनीए
नारद सोण मिलि करि तिह काला
आगे गवने दीनदयाला ॥२॥
सिंध विखैटापू इक आवा
देश बिसीहर जा को* नांवा


पा:-गुन
*तवारीख खालसा दे करता ने झंडे बाढी ते सुधर सेन दा मिलाप मनीपुर रासत दी तदोण दी
राजधानी असीमफल विज़च लिखिआ है, इस तोण जापदा है कि बिसीहर देस तोण इह इलाका मुराद
है कईआण दे खाल ईरान दे बुशाइर ते यू.पी. दी रासत रामपुर बुशाइर वल बी जाणदे
हन, पर अज़गे चलके सरनदीप दा ग़िकर है ओह सोनदीप टापू तोण मुराद है जो मनीपुर तोण हेठां
ब्रहमपुज़त्रा दे मुहाने तोण पूरब रुख ळ है, एस हिसाब बिसीअर देश ओसे पासे (मनीपुर वज़ल) ही
सही हुंदा है पु: ज: साखी विच झंडे ळ जुगावली मिली नगर छुटघाटका' छुट घाटिका
चिटागांग दा विगड़िआ नाम मलूम देणदा है

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