Sri Nanak Prakash

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चौपई: न्रिपत२ पुकार३ न सुनिहैण काई
काजी रिशवत बसि अधि काई४
झूठे को साचा करि देई
सति नाअुणको नाअुण न लेई ॥८॥
जहि तहिण चली मलेछन भाखा
निज निज५ धरम नरन६ सभि नाखा७
पुंन हीन तन पापन पीना८
दरब९ खसोटहिण१० देखति दीना११ ॥९॥
पर१२ कारज१३ के करता१४ हानी१५
सनि जिअुण तनु खोवहि दुख दानी१६
पर धन१७, पर निदिआ, परदारा१८
निसदिन तन मन सोण हित१९ धारा ॥१०॥
दोहरा: जंगम२० बहुत सरेवरे२१
करति दिगंबर४२ रार२२


*१धरम पूरनमाशी दा चंद्रमा (हो गिआ)
२राजे
३फरिआद
४बहुत
५आपो आपणा
६मनुखां ने
७छज़ड दिज़ता
८तकड़े
९धन
१०खोह लैणदे हन
११गरीब देख के
१२पराए
१३कंम
१४करन वाले
१५नाश
१६सं सिज़कुं (आपणा) आप (कुटाके रज़सेदा रूप हो के दूजे ळ बंन्हण दे कंम आ के) दुखदाई
हुंदीहै
१७पराइआ धन
१८पर इसत्री
१९प्रेम
२०टज़लीआण खड़का मंगण वाले फिरतू
२१जैनीआण दे दो भेद
२२झगड़ा

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