Sri Nanak Prakash

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मरहरी छंद: सुनि श्रौनन१ बैना, अनुकंपैना२ {गोपाल पांधे प्रति अुपदेश}
बानी भनी रसाल३
का आप पढे तुम, करिहो निज सम४

कै लाहा लै साल५?
सेमुखी६ विशेखा७, को भल लेखा?
पांधा! मोहि बताइ
इअुण अुज़तर दीजै, मन समझीजै
पीछै मुझहि पढाहि ॥१२॥
हुइ पाधा बिसमै, अधभुत रस मैण
आनन८ बचन अलाइ
सभि जानौण गिनती, अवनी९ मिनती
डोढै गनन१० सवाइ११
धौणचे१२ पुन अूणठै१३, जोरन कोठे१४
ग्राम कार पटवार१५
जिस के अनुसारी, रोजी थारी१६
पढहु न किअुण हित धारि? ॥१३॥
इन बिधि जी बाधा१७, सुनि श्रत१८ पाधा!फाहे परन अपार


१कंनीण
२क्रिपालू
३सुंदर
४आपणे वरगा
५स्रेशट
६बुधीवानां लई
७बहुत
८मुखोण
९ग़मीन दी
१०डिओढे दी गिंती
११सवाए
१२साढे ४ दा पहाड़ा
१३साढे तिंन दा पहाड़ा
१४इमारती कंम (अ) तिजारत, मिती काटा ते सूद दे वेरवे भरने आदि
१५पिंडां दा पटवारी दा कंम
१६आपदी
१७जीव बज़धा
१८कंनीण

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