Sri Nanak Prakash
४४०
बिगसा बहु नबाब सुनि बानी
मति जाणकी बिशियनि लपटानीकरति कुतरकहि१ बोलो बैना {नवाब दी कुतरक}
मोदी बाह लयो कित२ कै ना३? ॥३९॥
कहि जराम अब लौ न बिवाहा
भा सनबंध आइ है साहा
तव प्रताप को पाइ अलबा४
होइ बाह अब कछु न बिलबा५ ॥४०॥
अस६ सुनि बोलो दौलत खाना
सिफती बंदा निजहि वखाना
सो सति बात तबहि लौ बरनी७
जब लौ घर मैण आइ न तरुनी८ ॥४१॥
जती सती तपसी रिखि जेते
पार न पज़यै जिनहिण गिने ते
दरस अंगनां९ जार१० महाना११
फसे न निकसहि अति बलिवाना ॥४२॥
बोले नानक सुनति कुतरका {गुरू जी वलोण कुतरक दा अुज़तर} ॥२१॥
खंडन हित आशे१२ तिणह अुरका१३
जिन को मन हरि प्रेमहि पूरा
निस बासुर कब होइ न अूरा१४ ॥४३॥
तिनके मन का नारि१ मलीनी
१हुज़जत
२किते
३कि नहीण?
४आसरा
५देर नहीण
६इस तर्हां
७कही
८इसत्री
९इसत्री दा दरशन
१०जाल जो
११बड़ा वडाहै
१२मतलब
१३अुसदे रिदे दा
१४खाली