Sri Nanak Prakash

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सतिसंध१ सदा सति बैन कहैण- ॥२३॥
दोहरा: दोख निकंदन२ कंद सुख, सदन३ लगे पुनि जान
परफुज़लति कवलय बदन, रदन४ कुंद दुतिवान५ ॥२४॥
तोटक छंद: दिन आपन६ मैण निसि धाम रहैण
जिह पावक वाक७ अमंक८ दहैण९
हरखं अुर शोक समान जिसै
जग के दुख सुज़ख न बाप तिसै ॥२५॥
बहु कीरति भी सुलतानपुरे
नर नारि मुहूरमुहू१० अुचरे
बहु दीनन दा अुपकार करैणधन लालस११ न मन मांहि धरैण ॥२६॥
सम एस अुदार न और बियो
नर जाचिति जो नहिण छूछ१२ गयो
पुरहूत१३ समा१४ निज देखि सु दे१५
इस१६ काल१७ बिचारन नांहि कदे ॥२७॥
करुनालय१८ कोमल है मनिया१९

१सच दे धारन करन वाले
२दोख नाशक
३घर
४दंद मरतबान दे फुल जेहे शोभा वाले
५दंद मरतबान दे फुल जेहे शोभा वाले
६हज़ट पर
७अज़ग रूपी वाक
८पापां ळ साड़दे हन
९पापां ळ साड़दे हन
१०वार वार
११धन दी इज़छा
१२खाली
१३इंद्र
१४वेला (दान दा)
१५देख के देणदा है, भाव दान किस वेले बहुत फलदा है इह समां विचार के
पा:-पुरहूत समान जु देख मुदे
१६(पर) इह (गुरू जी) समेण दी विचार नहीण करदे (भाव हर वेले देणदे हन)
पा:-इक
१७समां
१८किरपा दा घर हन
१९मन कोमल है

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